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आप भी घूम सकते हैं सुप्रीम कोर्ट, जानें क्या है टूर का पूरा प्रोसेस

साल 2018 में शुरू हुए गाइडेड टूर के दौरान सुप्रीम कोर्ट के अधिकारी गाइड की तरह साथ रहते हैं और सभी जानकारियां देते रहते हैं. इस दौरान मोबाइल फोन ले जाने की मनाही रहती है.

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो) सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 20 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 9:06 AM IST
  • 2020 तक हो चुके थे 99 गाइडेड टूर
  • 9 अप्रैल को सौवें जत्थे ने किया टूर

सुप्रीम कोर्ट को आम नागरिकों, खासकर युवाओं के निकट लाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय का साप्ताहिक गाइडेड टूर शुरू किया गया था. कोरोना के कारण दो साल तक स्थगित रहे इस गाइडेड टूर ने शुरू होते ही शतक लगा लिया है. 7 मार्च 2020 से 2 अप्रैल 2022 तक, यानी दो साल गाइडेड टूर स्थगित रहा. 2018 से मार्च 2020 तक 99 टूर हो चुके थे.

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दो साल तक कोरोना और 99 के फेर में पड़े रहने के बाद अब अप्रैल 2022 में जब टूर शुरू हुआ तो शतक के साथ. स्थितियां सामान्य हुईं तो 9 अप्रैल को सौवें जत्थे ने सुप्रीम कोर्ट का भ्रमण किया. सन 2018 में शुरू हुए इस गाइडेड टूर की कहानी भी उतनी ही दिलचस्प है जितनी सुप्रीम कोर्ट की गाथा. इस अनूठे गाइडेड टूर की शुरुआत हुई चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के कार्यकाल में.

रंजन गोगोई ने अक्टूबर 2018 में पद्भार संभाला और 8 नवंबर की सुबह इस टूर की शुरुआत हुई. सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे 8 नवंबर 2018 को आम नागरिकों के भ्रमण के लिए खुल गए थे, वो भी समुचित स्वागत के साथ. उत्सुकता और जिज्ञासा का केंद्र रहे सुप्रीम कोर्ट परिसर में आम नागरिक बिना किसी मुकदमे के दाखिल होकर यहां की हरेक बारीक चीज की जानकारी घूम-घूम कर हासिल कर सकता है, वह भी पूरी तरह मुफ्त.

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क्या है गाइडेड टूर की प्रक्रिया

सार्वजनिक छुट्टी का दिन न हो तो हर शनिवार को लोग पहले से ऑनलाइन बुकिंग कराकर सुबह दस बजे और  11.30 am वाली पाली में सुप्रीम कोर्ट के गलियारे, चीफ जस्टिस का कोर्ट रूम, जजों की लाइब्रेरी और म्यूजियम सहित करीब घंटे भर तक परिसर के बड़े हिस्से का भ्रमण कर सकते हैं. स्लॉट टाइमिंग से घंटे भर पहले पीआरओ ऑफिस में अपने ओरिजनल फोटो और आवासीय पते वाले पहचान पत्र के साथ जाना होता है.

गाइड की तरह साथ रहते हैं अधिकारी

इस टूर के दौरान सुप्रीम कोर्ट के अधिकारी गाइड की तरह साथ रहते हैं और जानकारी देते रहते हैं. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट की इमारत की खासियत और खूबियां, दिलचस्प जानकारियां और ऐतिहासिक महत्व बताते चलते हैं. अमूमन 30 से 40 लोग एक ग्रुप में होते हैं. इस टूर के दौरान बैग, कैमरा, मोबाइल फोन वगैरह साथ रखने का इंतजाम नहीं होता. ऐसे में खाली हाथ सिर्फ जरूरत भर का सामान ही साथ रखना उचित रहता है.

हालांकि, मोबाइल साथ न ले जाने का अफसोस आपको उतना नहीं होगा क्योंकि सुप्रीम कोर्ट की भव्य इमारत की ऐतिहासिक सीढ़ियों पर पूरे ग्रुप की तस्वीर खींची जाएगी और आपको उसी शाम सौंपी जाएगी. सुप्रीम कोर्ट की यादगार यात्रा का लुत्फ कोई भी आम नागरिक बगैर कोई कीमत चुकाए मुफ्त में ले सकता है.

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