Advertisement

सुप्रीम कोर्ट का राज्यों को निर्देश- कोरोना से अनाथ हुए बच्चों को तत्काल पहुंचाएं वित्तीय सहायता

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार सुनिश्चित करे कि ऐसे बच्चे जो सरकारी या प्राइवेट स्कूल में पढ़ रहे थे, उनकी पढ़ाई सरकारी या प्राइवेट स्कूल में आगे भी जारी रहे.

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो) सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 08 जून 2021,
  • अपडेटेड 4:07 PM IST
  • कोर्ट ने केंद्र, राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के लिए जारी कीं गाइडलाइंस
  • कहा- राज्य सुनिश्चित करें कि जारी रहे अनाथ बच्चों की पढ़ाई

कोरोना वायरस की महामारी के कारण देशभर में बड़ी संख्या में बच्चों के सिर से मां-बाप की छाया उठ गई है. कोरोना की वजह से अपने माता-पिता को खो चुके बच्चों को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र, राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों को दिशा निर्देश जारी कर कहा है कि इनकी शिक्षा जारी रहे, इसके लिए सरकार की ओर से प्रावधान किए जाएं.

Advertisement

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार सुनिश्चित करे कि ऐसे बच्चे जो सरकारी या प्राइवेट स्कूल में पढ़ रहे थे, उनकी पढ़ाई सरकारी या प्राइवेट स्कूल में आगे भी जारी रहे. कोर्ट ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से बच्चों को अवैध रूप से गोद लेने वाले गैर सरकारी संगठनों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई करने के लिए कहा है. साथ ही कोर्ट ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से उन बच्चों की पहचान करने के लिए भी कहा है जो कोरोना वायरस की महामारी के बीच अनाथ हो गए हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को यह निर्देश भी दिया है कि बगैर देर किए ऐसे बच्चों की जानकारी एनसीपीसीआर के पोर्टल पर अपलोड किया जाए. कोर्ट ने अपनी गाइडलाइंस में कहा है कि केंद्र और राज्य सरकार की जिन योजनाओं के बच्चे हकदार हैं, उन योजनाओं के तहत ऐसे बच्चों को तत्काल वित्तीय सहायता पहुंचाई जाए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राज्य ऐसे बच्चों की पहचान चाइल्डलाइन 1089, स्वास्थ्य अधिकारियों, पुलिस, एनजीओ और पंचायतीराज के इंस्टीट्यूशन के जरिए करें.

Advertisement

सुप्रीम कोर्ट ने डिस्ट्रिक्ट चाइल्ड प्रोटेक्शन यूनिट को भी ये निर्देश दिए हैं कि ऐसे बच्चों के लिए भोजन, दवा, कपड़े, राशन का बंदोबस्त सुनिश्चित करें. कोर्ट ने साथ ही यह भी कहा कि ऐसे बच्चों को जिनके अभिभावक उनकी सही से देखभाल नहीं कर रहे हैं, उन्हें तुरंत सीडब्ल्यूसी के सामने पेश किया जाए.

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement