Advertisement

SC ने मानव संसाधन विकास विभाग के बाबुओं पर लगाया एक लाख का जुर्माना 

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के अधिकारी हाईकोर्ट में अपील दाखिल करने के बाद सुनवाई के लिये तय तारीख भूल गये. कई तारीखों पर कोई वकील नहीं पहुंचा. करीब आठ वर्ष की देरी की, तो वहीं सुप्रीम कोर्ट में भी डेढ़ वर्ष से ज्यादा का समय गवां दिया. इस लापरवाही और देरी लेकर सुप्रीम कोर्ट ने इन बाबुओं पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है.

सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली ,
  • 05 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 8:42 AM IST
  • बाबुओं के वेतन से कटेगी जुर्माने की रकम
  • जुर्माना SC एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड वेलफेयर फंड में होगा जमा 

सेंट्रल तिब्बतन स्कूल के कर्मचारियों ने समान वेतन स्तर की गुहार लगाते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. एकल जज पीठ ने कर्मचारियों के हक में फैसला सुनाया था. इसके बाद केंद्र सरकार ने कोर्ट में अपील तो दाखिल की, लेकिन कई बार सुनवाई की तय तारीख पर कोई वकील पेश नहीं हुआ, जिसके चलते अपील खारिज कर दी गई. 

Advertisement

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस हृषिकेश रॉय ने लापरवाह बाबुओं पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. साथ ही विधि सचिव और मानव संसाधन यानि शिक्षा सचिव को ताकीद की कि उन जिम्मेदार अधिकारियों के वेतन से ही ये पूरी रकम काट ली जाये. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के इन लापरवाह बाबुओं ने हाईकोर्ट मे अपील दाखिल करने में ही करीब आठ साल यानी 2509 दिनों की देरी की और वहां से हारने के बाद सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए भी 532 दिन यानी डेढ़ साल से ज्यादा का समय गंवा दिया. 

देखें- आजतक LIVE TV 

पेश की ये दलील 
अपील दाखिल करने के आठ साल बाद मानव संसाधन विभाग के बाबुओं को इस मामले की याद आई. जिसके बाद फिर से विभाग ने सुनवाई के लिये अपील की. साथ ही दलील ये दी गई कि उनके वकील तो जज बन गये थे, लिहाजा पेश नहीं हो सके, लेकिन हाईकोर्ट ने केंद्र की ये लचर दलील नहीं मानी और याचिका इस टिप्पणी के साथ खारिज कर दी कि केंद्र सरकार इतनी अनपढ़ नहीं है. बता दें कि इससे कुछ दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे के ऐसे ही लापरवाह अधिकारियों पर 25 हजार रुपये का दंड लगाया था. 

Advertisement

 

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement