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मनीष कश्यप पर तमिलनाडु पुलिस ने क्यों लगाया NSA? सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने पूछे तीखे सवाल

यूट्यूबर मनीष कश्यप के मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. हालांकि, उन्हें जमानत नहीं मिली. मगर, कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने तमिलनाडु पुलिस से पूछा है कि यूट्यूबर पर एनएसए क्यों लगाया गया है? अब इसकी सुनवाई अगले हफ्ते होगी.

मनीष कश्यप को नहीं मिली कोर्ट से राहत.  मनीष कश्यप को नहीं मिली कोर्ट से राहत.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 21 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 6:10 PM IST

बिहार के चर्चित यूट्यूबर मनीष कश्यप के मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की. बिहार मजदूरों की पिटाई का फर्जी वीडियो शेयर करने के मामले में  YouTuber मनीष कश्यप पर तमिलनाडु पुलिस द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) लगाए जाने पर कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी किया है.

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद कश्यप को मदुरै केंद्रीय कारागार से कहीं और स्थानांतरित नहीं करने का भी निर्देश दिया है. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने कश्यप की राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत हिरासत को चुनौती देने वाली याचिका पर ये नोटिस जारी किया है.

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दलीलों के दौरान, कश्यप की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने पीठ को बताया, "तमिलनाडु में बिहार के प्रवासी श्रमिकों पर कथित हमले के संबंध में एक फर्जी वीडियो साझा करने के मामले में वह वर्तमान में तमिलनाडु पुलिस की हिरासत में हैं. मदुरै की एक अदालत से रिमांड का आदेश मिलने के बाद उसे पूछताछ के लिए तमिलनाडु पुलिस बिहार से उन्हें लेकर गई थी. मनीष कश्यप के खिलाफ छह प्राथमिकी दर्ज हैं."

सभी एफआईआर क्लब करके बिहार स्थानांतरित करने की मांग 

दवे ने अनुरोध किया कि तमिलनाडु में दर्ज सभी एफआईआर को क्लब करके बिहार स्थानांतरित कर दिया जाए, क्योंकि पहली एफआईआर पटना में दर्ज की गई थी. तमिलनाडु पुलिस की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पीठ को बताया कि फर्जी खबरों के कारण मौतें हुईं और यह कोई छोटा मामला नहीं है. उन्होंने कहा, सभी एफआईआर को क्लब करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है.

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कोर्ट ने पूछा कि यूट्यूबर पर क्यों लगाया गया एनएसए?

इस पर पीठ ने सिब्बल से पूछा कि यूट्यूबर पर एनएसए क्यों लगाया गया? सिब्बल ने इसका जवाब देते हुए कहा, "कश्यप के सोशल मीडिया में लगभग 60 लाख फॉलोअर्स थे, उनके वीडियो से प्रवासी श्रमिकों में व्यापक दहशत और भय पैदा हो गया था.  यह वीडियो एक राजनीतिक एजेंडे के साथ बनाए गया था."

सिब्बल की दलील का समर्थन करते हुए बिहार सरकार के वकील ने भी यह कहते हुए मामलों को बिहार स्थानांतरित करने का विरोध किया कि कश्यप आदतन अपराधी थे और उनके खिलाफ कई मामले लंबित थे. पीठ ने अब इस मामले को सुनने के लिए अगले शुक्रवार का समय निर्धारित किया है. प्रतिवादियों को अपनी प्रतिक्रिया दर्ज कराने का आदेश दिया गया है.

(इनपुट - कानू शारदा)

 

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