
सुप्रीम कोर्ट के जज न्यायमूर्ति एन. कोटिस्वर सिंह ने रविवार को मणिपुर हाई कोर्ट के एक इवेंट में शिरकत की. उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि मणिपुर एक छोटा राज्य है, लेकिन चुनौतियों से रहित नहीं है. लेकिन यह संविधान ही है जो हमें कठिन समय में काम करने में मदद करता है. जस्टिस सिंह ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना से आपको न्यायाधीशों पर डाली गई जिम्मेदारी की गंभीरता का अहसास होता है.
उन्होंने कहा, 'आज द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जन्मे कितने देश ऐसे समृद्ध संविधान को अपनाते हैं? मुझे इस देश का हिस्सा होने पर गर्व है कि हम इतनी समृद्ध विरासत और परंपरा वाले एक स्थिर राष्ट्र में रह पाए हैं. मुझे यह बात जम्मू-कश्मीर जाकर भी पता चली- अलगाववाद का खुलकर समर्थन करने वाली शत्रुतापूर्ण ताकतों के हमले के कारण इस देश के सामने जो चुनौतियां हैं- मणिपुर में ऐसी स्थिति नहीं है.'
सुप्रीम कोर्ट जजों के मणिपुर आने से बहुत उम्मीद जगी
जस्टिस एन. कोटिस्वर सिंह ने कहा, 'मणिपुर में हम सभी एक साथ बैठ सकते हैं और हमारे अंदर करुणा और सहानुभूति की भावना होनी चाहिए. हम इस स्थिति से उबर सकते हैं और हम उबरेंगे. जब मेरे साथी जज चुराचांदपुर और बिष्णुपुर आए तो बहुत उम्मीद जगी. जब तक हम संविधान के सिद्धांतों को आत्मसात नहीं करते हैं, तब तक हम इन चुनौतियों पर विजय प्राप्त नहीं कर सकते.'
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सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस सिंह ने कहा, 'मणिपुर के युवा वकीलों के लिए मेरे पास कुछ शब्द हैं- इस पेशे में नामचीन होने में बहुत लंबा समय लगा है. यहां कड़ी मेहनत और ईमानदारी के अलावा किसी और चीज को मान्यता नहीं मिलेगी. लोग हैरान होते हैं और मुझसे पूछते हैं- आप इतनी छोटी जगह से आए हैं और आप सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गए हैं. मैं यहां के लोगों से कहना चाहता हूं- आप देश के सुदूर राज्य में रहने की वजह से खुद को अलग-थलग महसूस न करें. मेहनत करते रहें, मेहनत हमेशा रंग लाती है.'
हम ऐसा कुछ ना करें जिससे यह महान देश कमजोर हो
जस्टिस कोटिस्वर सिंह ने कहा, 'मुझे इस देश के कई राज्यों में जाने का अवसर मिला है. हर राज्य, हर क्षेत्र इतना समृद्ध और जीवंत है. हमें इस राष्ट्र को मजबूत करने के लिए सब कुछ करना चाहिए और हमें ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए जिससे यह महान देश कमजोर हो.' उन्होंने राज्य में गत दो वर्षों से जातीय हिंसा के कारण व्याप्त तनाव की ओर इशारा करते हुए कहा, 'आज मणिपुर आना मेरे लिए गर्व और खुशी के साथ थोड़ी उदासी का भी क्षण है.' बता दें कि मणिपुर जस्टिस एन. कोटिस्वर सिंह का गृह राज्य है. उनका जन्म 1963 में इंफाल में हुआ था.
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कुकी बहुल चुराचांदपुर जिले में नहीं जा पाए जस्टिस सिंह
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीय जस्टिस एन. कोटिस्वर सिंह मैतेई समुदाय से आते हैं. वह सुप्रीम कोर्ट के जजों उस 6 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे, जिसने 22 मार्च को मणिपुर का दौरा किया. अपने साथी जजों के साथ एन. कोटिस्वर सिंह चुराचांदपुर जिले में नहीं जा सके, क्योंकि यह कुकी बाहुल्य जिला है. न्यायमूर्ति एन. कोटिस्वर सिंह के दौरे के पहले चुराचांदपुर जिले के बार एसोसिएशन ने बयान जारी कर कहा था, 'शांति और सार्वजनिक व्यवस्था के हित में मैतेई समुदाय के जज को हमारे जिले में कदम नहीं रखना चाहिए. चाहे उनका नाम सुप्रीम कोर्ट के जजों के प्रतिनिधिमंडल में ही क्यों ना शामिल हो.'
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चुराचांदपुर के लोगों को गले लगाने की जाहिर की इच्छा
कुकी समुदाय की बहुलता वाले चुराचांदपुर जिले का दौरा नहीं कर पाने को लेकर जस्टिस एन. कोटिस्वर सिंह ने आजतक से बातचीत में कहा था, 'शांति बनाए रखना सबसे महत्वपूर्ण है. यही सबका उद्देश्य भी होना चाहिए. किसी भी स्थिति को भड़काना उचित नहीं. हमें सोच-समझकर कर कदम उठाना चाहिए, जिससे समाज के किसी भी वर्ग को उकसावा ना मिले. हमें समस्यायों का शांतिपूर्ण तरीके से समाधान करना चाहिए. मुझे कुकी-बहुल इलाके चुराचांदपुर ना जाने का कोई पछतावा नहीं है. मुझे विश्वास है कि मैं जल्द ही चुराचांदपुर भी जाऊंगा.' उन्होंने भावुक होते हुए कहा कि चुराचांदपुर में उनके बहुत सारे अच्छे दोस्त हैं. जस्टिस एन. कोटिस्वर सिंह ने चुराचांदपुर के लोगों से मिलने और उन्हें गले लगाने की इच्छा जाहिर की.