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जजों के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायतों से कैसे निपटें? सुप्रीम कोर्ट ने महासचिव से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने जजों के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायतों से निपटने के लिए तंत्र तैयार करने पर शीर्ष अदालत के महासचिव का रुख मांगा. कोर्ट ने महासचिव को स्टैंड ऑन रिकॉर्ड रखने के लिए 4 सप्ताह का समय दिया. अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट 15 नवंबर को सुनवाई करेगा.

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो) सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
सृष्टि ओझा
  • नई दिल्ली,
  • 31 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 7:59 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मौजूदा और रिटायर्ड न्यायाधीशों के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायतों से निपटने के लिए तंत्र पर महासचिव का रुख मांगा. न्यायमूर्ति एसके कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने 2014 में एक लॉ इंटर्न द्वारा दायर एक मामले में निर्देश जारी किया, जिसने सुप्रीम कोर्ट के एक रिटायर्ड न्यायाधीश पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था.  

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने समय बीतने के मद्देनजर कुछ अतिरिक्त सामग्री दाखिल करने की मांग की कि कैसे प्रक्रियाएं विकसित हुई हैं. वकील जयसिंह ने प्रथाओं के संबंध में महासचिव का स्टैंड ऑन रिकॉर्ड भी मांगा. इसलिए अदालत ने याचिकाकर्ता को इसे रिकॉर्ड में दर्ज करने के लिए 4 सप्ताह का समय दिया और उसके बाद महासचिव को स्टैंड ऑन रिकॉर्ड रखने के लिए 4 सप्ताह का समय दिया. अब इस मामले में कोर्ट 15 नवंबर को सुनवाई करेगा.  

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SC के महासचिव ने जवाब नहीं किया दाखिल

याचिकाकर्ता के वकील ने पीठ को सूचित किया कि सुप्रीम कोर्ट के महासचिव ने अभी तक याचिका में जवाब दाखिल नहीं किया है. सुश्री जयसिंह ने संकेत दिया कि हलफनामा दाखिल करना महत्वपूर्ण है क्योंकि यदि प्रतिक्रिया संतोषजनक है तो कार्यवाही के साथ आगे बढ़ने की आवश्यकता नहीं हो सकती है. उन्होंने हाल के दिनों में यौन उत्पीड़न के मामले को संभालने के तरीके में हुई घटनाओं को अपने संज्ञान में लाने के लिए अदालत की अनुमति मांगी. 

BCI को पक्ष बनाने की अपील अस्वीकार

इसके साथ ही बेंच ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) को उक्त कार्यवाही में एक पक्ष बनाने के जयसिंह के अनुरोध को स्वीकार करने से इनकार कर दिया और इसे यौन उत्पीड़न के संबंध में नियम बनाने का निर्देश दिया. न्यायमूर्ति कौल ने कहा कि यदि वह चाहती हैं कि बीसीआई द्वारा दिशानिर्देश तैयार किए जाएं तो वह इस संबंध में एक और अलग याचिका दायर करने के लिए स्वतंत्र हैं. 

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