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न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) के आत्म नियमन को और व्यापक, पारदर्शी और सख्त बनाने के लिए प्रोग्राम कोड में क्या प्रावधान किए गए हैं? केंद्र सरकार 24 सितंबर के दिन सुप्रीम कोर्ट को बताएगी. सुप्रीम कोर्ट ने एक निजी टीवी न्यूज चैनल के कार्यक्रम पर दिल्ली हाईकोर्ट की ओर से लगाई गई रोक के मामले में दायर एसएलपी पर सुनवाई करते हुए ये साफ कर दिया कि एनबीए के दायरे को लेकर फिर से विचार होना चाहिए.
जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़, जस्टिस केएम जोसफ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा की पीठ ने कहा कि हम भी चाहते हैं कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर किसी तरह का कोई बाहरी दबाव न हो, लेकिन सेल्फ रेगुलेशन पारदर्शी, असरदार और त्वरित कार्रवाई करने वाला होना बहुत जरूरी है. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि अनुशासन का उल्लंघन करने वाले सदस्य चैनल पर एक लाख रुपये तक का जुर्माना तो संस्था की लाचारी ही बताता है. कोई चैनल एनबीए का सदस्य नहीं है तो क्या वो मनमानी कर सकता है?
सरकार ने कोर्ट में कहा कि वो अतिरिक्त हलफनामे के जरिए कोर्ट को सुनवाई के दौरान चर्चा में आए मुद्दों पर बताना चाहती है. सुनवाई के दौरान जकात फाउंडेशन की तरफ से सीनियर एडवोकेट संजय हेगड़े ने कहा कि हमको भी इसमें पार्टी बनाया जाए, क्योंकि ज़कात फॉउंडेशन पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं. लिहाजा इसे देखते हुए फाउंडेशन ने हलफनामा दाखिल किया है कि अगर उनकी मंशा खास तबके को टारगेट करने की है तो हम भी कुछ कह सकते हैं.
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप पक्ष रखने के लिए अर्जी दे सकते हैं, लेकिन यह सुनवाई सिर्फ कार्यक्रम के प्रसारण को लेकर ही हो रही है. चैनल की ओर से भी वकील ने दलीलें दीं. सरकार की ओर से सॉलिसीटर जनरल प्रोग्राम कोड सुप्रीम कोर्ट में पहले ही दाखिल कर चुके हैं. अब सरकार 24 सितंबर को प्रोग्राम कोड में बदलावों के संबंध में जानकारी देगी.