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'आरक्षण के लिए नहीं दी जा सकती धर्मांतरण की इजाजत', SC ने खारिज की याचिका

हाईकोर्ट ने आरक्षण के लिए धर्म परिवर्तन की मांग वाली महिला की याचिका 24 जनवरी 2023 को खारिज कर दी थी. उस आदेश को चुनौती देने वह सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी, लेकिन यहां से भी उसे निराशा ही हाथ लगी, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट का निर्णय ही उचित ठहराते हुए मान्य रखा.

सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 27 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 11:30 AM IST

कोई व्यक्ति सिर्फ आरक्षण का लाभ लेने की नीयत से धर्मांतरण कर रहा है तो उसे ये फायदा उठाने की इजाजत नहीं दी जा सकती. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नियम से चर्च जाकर प्रार्थना और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों में शामिल होने और ईसाई धर्म की परंपरा का पालन करने वाला व्यक्ति खुद को हिंदू बताकर अनुसूचित जाति के तहत मिलने वाले आरक्षण का लाभ नहीं उठा सकता.

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जस्टिस पंकज मित्थल और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने मद्रास हाईकोर्ट के 24 जनवरी, 2023 के आदेश को चुनौती देने वाली सी सेल्वरानी की याचिका खारिज करते हुए टिप्पणी की कि भारत में धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत के साथ ही संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत देश के हर नागरिक को अपनी मर्जी से धर्म और आस्था चुनने और उसकी परंपराओं और मान्यताओं का पालन करने की आज़ादी है.

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कोई क्यों करता है धर्म परिवर्तन?

कोई अपना धर्म तब बदलता है जब वास्तव में वो किसी दूसरे धर्म के सिद्धांतों, मान्यताओं, दर्शन और परंपराओं से प्रभावित हो, लेकिन कोई व्यक्ति अपने हृदय में सच्ची आस्था के बिना अपना धर्मांतरण सिर्फ दूसरे धर्म के तहत मिलने वाले आरक्षण का फायदा लेने के लिए कर रहा है, तो संविधान और न्यायपालिका इसकी इजाजत नहीं दे सकते, क्योंकि सच्ची आस्था के बिना ऐसा धर्म परिवर्तन न केवल संविधान के साथ धोखाधड़ी है बल्कि आरक्षण की नीति के सामाजिक सरोकार को हराने जैसा होगा. इससे आरक्षण के सामाजिक मूल्य नष्ट होंगे.

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महिला की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की

सुप्रीम कोर्ट ने पुदुच्चेरी की एक महिला की अर्जी खारिज करते हुए ये टिप्पणी की है. इस ईसाई महिला ने नौकरी में अनुसूचित जाति के तहत मिलने वाले आरक्षण का लाभ हासिल करने के लिए अपने धर्मांतरण की वैधता को आग्रह करते हुए यह याचिका दायर की थी.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता महिला ईसाई धर्म की परंपरा का पालन करती है. वो नियमित तौर पर चर्च जाकर धार्मिक अनुष्ठानों में हिस्सा लेती है, लेकिन इन सबके बावजूद वो खुद को हिंदू बताते हुए नौकरी के मकसद से अनुसूचित जाति को मिलने वाले आरक्षण का फायदा उठाना चाहती है. यह संविधानिक सिद्धांतों के लिहाज से भी कतई उचित नहीं है. इस महिला का दोहरा दावा मंजूर नहीं किया जा सकता है.

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आरक्षण का फायदा नहीं दिया जा सकता

ईसाई धर्म का पालन करते हुए वो खुद के हिंदू होने का दावा नहीं कर सकती. उसे अनुसूचित जाति के आरक्षण का फायदा नहीं दिया जा सकता. याचिकाकर्ता सेल्वरानी मद्रास हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल कर पुदुच्चेरी के जिला प्रशासन को अनुसूचित जाति का प्रमाणपत्र जारी करने का निर्देश देने की गुहार लगाई थी.

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