
देश में कोरोना संकट पर नियंत्रण पाने के लिए टीकाकरण अभियान जारी है लेकिन कई जगहों पर वैक्सीन की कमी की वजह से सेंटर्स बंद करने पड़े. टीकाकरण को लेकर मामला अब देश की सबसे बड़ी अदालत में है. सुप्रीम कोर्ट ने आज बुधवार को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार से टीकाकरण नीति के बारे में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वैक्सीन कब-कब खरीदी गई, इस संबंध में कोर्ट को पूरी जानकारी विस्तार के साथ दी जाए. कोर्ट ने केंद्र को जवाब दाखिल करने के लिए 2 हफ्ते का वक्त दिया है.
कोर्ट ने टीकाकरण अभियान के पहले तीन चरणों में पात्र व्यक्तियों के मुकाबले टीका लेने वाली (एक डोज और दोनों डोज के साथ) आबादी के प्रतिशत पर आंकड़ा मांगा है. इसमें टीका लगवाने वाली शहरी आबादी की तरह टीका लगवाने वाली ग्रामीण आबादी के प्रतिशत के साथ आंकड़े मांगे हैं.
हर वैक्सीन को लेकर देनी होगी जानकारी
केंद्र सरकार को अब तक के सभी तरह की कोरोना वैक्सीन (Covaxin, Covisheeld and Sputnik V) की खरीदारी को लेकर भी पूरी जानकारी देनी होगी.
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सरकार की ओर से दिए गए आंकड़ों में वैक्सीन की खरीद को लेकर सिलसिलेवार जानकारी देनी होगी. सरकार को यह स्पष्ट करना होगा कि (पहला) सभी 3 टीकों के लिए केंद्र सरकार द्वारा दिए गए सभी खरीद आदेशों की तारीखें, (दूसरा) प्रत्येक तारीख के अनुसार ऑर्डर किए गए टीकों की संख्या और (तीसरा) आपूर्ति की अनुमानित तिथि क्या थी.
शेष आबादी की टीकाकरण के लिए योजना क्या?
इसके अलावा फेस 1, 2 और 3 के जरिए केंद्र सरकार शेष आबादी का टीकाकरण कैसे और कब करना चाहती है, इसकी रूपरेखा भी उसे देनी होगी.
कोर्ट ने यह भी कहा कि ब्लैक फंगस यानी म्यूकरमायकोसिस के लिए दवा की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की भी जानकारी दी जाए.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अपना हलफनामा दाखिल करते समय भारत सरकार को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि सभी संबंधित दस्तावेजों की प्रतियां और फाइल नोटिंग में इसका उल्लेख नहीं होना चाहिए कि हम सोच रहे हैं. इसलिए, हम भारत सरकार को 2 हफ्ते के भीतर अपना हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हैं.