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'कॉलेजियम कोई सर्च कमेटी नहीं', जजों के चयन पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा

एडवोकेट प्रशांत भूषण ने चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच से कहा, "दोहराए गए नामों पर फैसला लेने के लिए एक समय सीमा तय की जा सकती है. ऐसा नियम होना चाहिए कि अगर वे एक निश्चित वक्त तक सिफारिशों को मंजूरी नहीं देते हैं, तो इसे स्वीकार कर लिया गया माना जाएगा." 

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (फाइल फोटो) चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (फाइल फोटो)
कनु सारदा
  • नई दिल्ली,
  • 20 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 3:11 PM IST

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को केंद्र सरकार से उन कैंडिडेट्स की लिस्ट सबमिट करने को कहा, जिनके नाम कॉलेजियम द्वारा उच्च न्यायालयों में जजों के रूप में नियुक्ति के लिए दोहराए गए थे, लेकिन अभी तक उन्हें मंजूरी नहीं मिली है. पहले से चले आ रहे नियम के मुताबिक, अगर कॉलेजियम ने अपना फैसला दे दिया है, तो सरकार जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम की सिफारिश स्वीकार करने के लिए बाध्य है. कॉलेजियम में भारत के मुख्य न्यायाधीश सहित सुप्रीम कोर्ट के पांच सबसे ज्यादा सीनियर जज शामिल हैं.

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चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन जजो की बेंच ने कहा, "सरकार को यह साफ करना होगा कि दोहराए गए नामों से क्या परेशानी है. हमें एक चार्ट दीजिए, जिसमें इस बात का जिक्र हो कि नामों के दोहराए जाने के बाद आगे क्या कार्यवाही की गई है."

प्रशांत भूषण ने दिया सुझाव

इस मसले पर सुनवाई के दौरान एडवोकेट प्रशांत भूषण ने बेंच से कहा कि दोहराए गए नामों पर फैसला लेने के लिए एक समय सीमा तय की जा सकती है. ऐसा नियम होना चाहिए कि अगर वे एक निश्चित वक्त तक सिफारिशों को मंजूरी नहीं देते हैं, तो इसे स्वीकार कर लिया गया माना जाएगा." 

यह भी पढ़ें: कॉलेजियम द्वारा सुझाए नामों की नियुक्ति में क्यों हो रही देरी? केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को दी जानकारी

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'कॉलेजियम कोई सर्च कमेटी नहीं...'

प्रशांत भूषण की टिप्पणी के बाद चीफ जस्टिस ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से केंद्र के पास लंबित दोहराए गए नामों की लिस्ट मांगी. उन्होंने कहा, "हमें स्टेटस का चार्ट दीजिए और बताइए कि कठिनाई क्या है. देखिए, कॉलेजियम कोई सर्च कमेटी नहीं है. अगर यह महज सर्च कमेटी की होती, तो आपके पास विवेकाधिकार होता. आइडिया अलमारी में छिपे रहस्यों को उजागर करने का नहीं, बल्कि आगे बढ़ने का है."

किसकी याचिका पर SC में हुई सुनवाई?

वकील हर्ष विभोर सिंघल द्वारा दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा था, जिसमें कॉलेजियम द्वारा सिफारिश किए गए नामों की नियुक्ति को अधिसूचित करने के लिए केंद्र को निश्चित समय सीमा देने की मांग की गई थी.

इसके अलावा, झारखंड सरकार ने भी एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें जस्टिस एमएस रामचंद्र राव को हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में नियुक्त करने के लिए कॉलेजियम द्वारा की गई सिफारिश को मंजूरी नहीं देने के लिए केंद्र के खिलाफ अदालत की अवमानना ​​की कार्रवाई की मांग की गई थी.

यह भी पढ़ें: हाईकोर्ट के दो जजों की पदोन्नति पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, कॉलेजियम को पुनर्विचार के दिए निर्देश

'यह बहुत गलत है...'

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झारखंड की तरफ से पेश हुए सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा, "कॉलेजियम ने बहुत पहले ही उड़ीसा हाई कोर्ट के जज डॉ. जस्टिस बीआर सारंगी को झारखंड के चीफ जस्टिस के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश की थी, लेकिन केंद्र ने सारंगी की रिटायरमेंट से सिर्फ 15 दिन पहले इसे मंजूरी दे दी. यह बहुत गलत है."

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए चीफ जस्टिस ने केंद्र से कहा, "आप हमें बताएं कि वे नियुक्तियां क्यों नहीं की जा रही हैं."

बता दें कि इस हफ्ते की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति पर एक नया प्रस्ताव पारित किया था. कॉलेजियम ने जस्टिस सुरेश कुमार कैत (दिल्ली हाई कोर्ट), जस्टिस जीएस संधावालिया (पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट) और जस्टिस ताशी रबस्तान (जम्मू और कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट) के संबंध में अपनी पिछली सिफारिशों में बदलाव किया है.

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