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'हम पॉल्यूशन की वजह से लोगों को मरने नहीं दे सकते, पराली जलाने पर रोक जरूरी...' सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम सिर्फ उपायों को ग्राउंड लेवल पर लागू करना चाहते हैं. जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा कि पराली जलाने की एक बड़ी वजह पंजाब में धान की खास किस्म की खेती होना है. किसानों को दूसरी फसलों के लिए प्रोत्साहित करने की जरूरत है. फिर भी पराली जलाने पर रोक जरूरी है.

फाइल फोटो फाइल फोटो
संजय शर्मा/कनु सारदा/अनीषा माथुर
  • नई दिल्ली,
  • 10 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 1:36 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण और पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की घटनाओं पर चिंता जताने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए शुक्रवार को केजरीवाल सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि हमारे हस्तक्षेप के बाद ही हर साल तेजी आती है. SC ने कहा कि हम एक्सपर्ट नहीं हैं, हमें सिर्फ समाधान चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम सिर्फ उपायों को ग्राउंड लेवल पर लागू करना चाहते हैं. जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा कि पराली जलाने की एक बड़ी वजह पंजाब में धान की खास किस्म की खेती होना है. किसानों को दूसरी फसलों के लिए प्रोत्साहित करने की जरूरत है. फिर भी पराली जलाने पर रोक जरूरी है.

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'प्रदूषण में पराली का 24% योगदान'

बढ़ते प्रदूषण में पराली जलाने की भूमिका पर एमिकस अपराजिता सिंह ने कहा कि फसल अवशेष जलाने से कुल प्रदूषण में 24% योगदान होता है, जबकि कोयला और फ्लाई ऐश 17% प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है. वहीं, कुल प्रदूषण का 16% वाहनों से फैलता है. 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'हर कोई प्रदूषण के स्रोतों के बारे में जानता है, वे (सरकारें) कोर्ट के हस्तक्षेप का इंतजार कर रहे हैं. हमारे पास हर समस्या का समाधान है, लेकिन कोई कुछ नहीं कर रहा है. अदालत खुद कहती है कि हम नतीजे चाहते हैं. हम विशेषज्ञ नहीं हैं, लेकिन हम समाधान चाहते हैं.''

SC ने फिर लगाई फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम ये नही कह रहे है कि ये आसान मामला है. ये राज्य सरकारों को करना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या आप चाहते हैं कि ये आदेश हम पारित कर दें कि सभी राज्य सरकार के अधिकारी बिना मास्क के काम करें. तभी आम जनता के स्वास्थ्य के बारे में इनको पता चलेगा. 

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हम लोगों को मरने नहीं दे सकते- SC 

कोर्ट ने पंजाब सरकार को कहा कि आप कोर्ट के आदेश लागू करें. हम लोगों को प्रदूषण की वजह से मरने नही दे सकते. SC ने कहा, सवाल ये उठता है कि किसान केवल बासमती धान की फसल क्यों उगाते है? पंजाब सरकार आखिर किसानों के संगठन से बात क्यों नहीं करती? उनका संगठन बेहद एक्टिव है. राज्य सरकार को किसानों से बात करनी चाहिए. प्रदूषण कम होना ही चाहिए. कैसे कम होगा ये राज्य सरकारें तय करें. लेकिन प्रदूषण कम करना ही होगा. अगर हम कमेटी बनाते हैं, जो जिम्मेदारी उस पर शिफ्ट हो जाएगी. 

21 नवंबर को अगली सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, प्रदूषण की स्थिति को राज्य के कैबिनेट सेक्रेटरी मॉनिटर करेंगे. दिल्ली सरकार ने कहा कि वे दीवाली के बाद कृत्रिम बारिश कराना चाहते हैं. इसको लेकर कई एजेंसियों से इजाजत लेनी की जरूरत होगी. केन्द्र से भी इजाजत चाहिए. इस पर कोर्ट ने कहा कि इसके लिए हमारी इजाजत की जरूरत नहीं है. AG यहां हैं. आप उनसे बात करिए. 

SC ने कहा कि धान की फसल के विकल्प के तौर पर दूसरी फसल पर भी काम करना होगा. धान पर दी जाने वाली MSP को नही हटाएंगे. कम पानी वाले इलाकों में धान की फसल लेने को चरणबद्ध ढंग से घटाना होगा. ये तो लंबे समय की कार्ययोजना है. कोर्ट इस पर 21 नवंबर को अगली सुनवाई करेगा. 

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दिल्ली-NCR पिछले 1 हफ्ते से प्रदूषण की मार झेल रहा है. वायु की गुणवत्ता स्तर यानी AQI 450 से ऊपर बना हुआ था. प्रदूषण पर काबू पाने के लिए दिल्ली सरकार ने तमाम बड़े फैसले भी लिए थे. ये नाकाफी साबित हुए. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने भी राज्य सरकारों को फटकार लगाई थी. हालांकि, शुक्रवार को दिल्ली-NCR में बारिश ने लोगों को राहत दी. आसमान में छाई धुंध साफ हो गई. AQI भी 400 से 100 के स्तर पर पहुंच गया. 

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