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संदेशखाली मामले में कोर्ट ने पूछा, किसी व्यक्ति के खिलाफ CBI जांच पर सरकार क्यों कर रही पैरवी?

राज्य सरकार की तरफ से पेश हुए वकील ने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों का जवाब देते हुए कहा कि उन्होंने हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी है क्योंकि राज्य के खिलाफ टिप्पणियां की गई थीं.

पूर्व TMC नेता शेख शाहजहां और ममत बनर्जी पूर्व TMC नेता शेख शाहजहां और ममत बनर्जी
सृष्टि ओझा
  • नई दिल्ली,
  • 29 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 1:51 PM IST

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने संदेशखाली मामले की सीबीआई जांच का विरोध करने पर पश्चिम बंगाल सरकार को फटकार लगाई है. कोर्ट ने सवाल किया कि कोई राज्य सरकार किसी व्यक्ति के हितों की रक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट कैसे आ सकती है. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने सीबीआई जांच का निर्देश देने वाले हाई कोर्ट के आदेश पर कोई रोक लगाने से इनकार कर दिया और पूछा, "राज्य सरकार किसी व्यक्ति के हितों की रक्षा के लिए सर्वोच्च न्यायालय से कैसे संपर्क कर सकती है?"

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पूर्व TMC नेता शाहजहां शेख, संदेशखाली में महिलाओं के खिलाफ अपराध और जमीन पर कब्जा करने के मामले में मुख्य आरोपी हैं.

राज्य सरकार की तरफ से पेश हुए वकील ने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों का जवाब देते हुए कहा कि उन्होंने हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी है क्योंकि राज्य के खिलाफ टिप्पणियां की गई थीं. ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपनी याचिका में कहा कि हाई कोर्ट के 10 अप्रैल के आदेश ने पुलिस बल सहित "पूरी राज्य मशीनरी को हतोत्साहित कर दिया."

याचिका में तर्क दिया गया कि हाई कोर्ट ने एक बहुत ही सामान्य आदेश में राज्य को बिना किसी दिशानिर्देश के सीबीआई को जरूरी सहायता देने का निर्देश दिया, जो संदेशखाली इलाके में किसी भी अपराध की जांच करने के लिए राज्य पुलिस की शक्तियों को हड़पने के जैसा है. भले ही वह जनहित याचिका याचिकाकर्ताओं द्वारा लगाए गए आरोपों से संबंधित न हो.

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सुप्रीम कोर्ट ने सुझाया दूसरा विकल्प

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर सिर्फ उससे नाराजगी है तो राज्य उन टिप्पणियों को हाई कोर्ट के रिकॉर्ड से हटाने की मांग भी कर सकता हैं. सुप्रीम कोर्ट, गर्मी की छुट्टियों के बाद मामले की सुनवाई दोबारा शुरू करेगा. 

संदेशखाली में ईडी के अधिकारियों पर हमले के मामले की जांच कर रही ईडी को हाई कोर्ट ने कृषि भूमि को जल निकायों में कथित अवैध रूपांतरण पर एक व्यापक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था. इसके अलावा महिलाओं और जमीन हड़पने के खिलाफ अपराधों के आरोपों की जांच करने के लिए भी कहा था. अधिकारियों को 2 मई को अगली सुनवाई से पहले एक व्यापक रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा गया था.

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