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सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की विवाह के लिए लड़के-लड़कियों की समान उम्र वाली PIL

सुप्रीम कोर्ट ने का कि संसद या आपकी याचिका के मुताबिक अदालत लड़कियों के लिए विवाह की न्यूनतम उम्र 18 साल को रद्द कर देता है तो फिर इसके लिए कोई न्यूनतम उम्र नहीं रह जाएगी. फिर क्या होगा? कोर्ट ने कहा कि ये कोई राजनीतिक मंच नहीं है. हमें ये मत सिखाइए कि संविधान के रक्षक के तौर पर हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं.

सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 20 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 3:41 PM IST

सभी धर्मों में लड़कियों की शादी की उम्र लड़कों के बराबर करने की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणियों के साथ खारिज करते हुए याचिकाकर्ता को कई नसीहतें भी दीं. सख्त टिप्पणी करते हुए CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि संविधान के संरक्षक के तौर पर सिर्फ सुप्रीम कोर्ट के पास ही विशेषाधिकार नहीं है. संविधान की रक्षा के लिए संसद के पास भी उतना ही अधिकार है. 

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बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय की याचिका
संसद या आपकी याचिका के मुताबिक अदालत लड़कियों के लिए विवाह की न्यूनतम उम्र 18 साल को रद्द कर देता है तो फिर इसके लिए कोई न्यूनतम उम्र नहीं रह जाएगी. फिर क्या होगा? जब याचिकाकर्ता बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट से ट्रांसफर कराने के बाद सुप्रीम कोर्ट को इस याचिका पर सुनवाई करनी चाहिए. इस पर सख्त रवैया अपनाते हुए कोर्ट ने कहा कि ये कोई राजनीतिक मंच नहीं है. हमें ये मत सिखाइए कि संविधान के रक्षक के तौर पर हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं.

अनुच्छेद 32 के तहत सीधे सुप्रीम कोर्ट आने और जनहित याचिकाओं के प्रावधान का मखौल और मजाक मत बनाइए. इससे पहले लड़के-लड़कियों के विवाह की न्यूनतम उम्र तय करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षकारों को नोटिस जारी किया था. कोर्ट में दाखिल जनहित याचिका के मुताबिक कोर्ट को इस बारे में तय करने को कहा गया है कि धार्मिक मान्यताओं से अलग हटकर कानून बने जिसमें विवाह की एक समान उम्र तय हो. 

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अदालत संसद को किसी कानून में बदलाव करने के आदेश नहीं दे सकता
अदालत विवाह की न्यूनतम उम्र भी तय करे जो धार्मिक मान्यता और बाध्यता से ऊपर उठकर देश के सभी नागरिकों पर समान रूप से लागू हो. विधायिका के पास तो किसी कानून या यहां तक कि संविधान में संशोधन का भी अधिकार है. सभी धर्मों में लड़कियों की शादी की उम्र लड़कों के समान 21 साल करने की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज करते हुए कहा कि ये कानून में संशोधन का मामला है. अदालत संसद को किसी कानून में बदलाव करने के आदेश नहीं दे सकता?
 

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