
सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को फिर फटकार लगाई है. भट्ट ने हिरासत में हुई मुलजिम की मौत के दोष में दी गई उम्रकैद की सजा पर पुनर्विचार याचिका की सुनवाई से जस्टिस शाह के अलग हो जाने की अपील की थी. कोर्ट ने इस पर नाराजगी जताई है.
जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रवि कुमार ने कोर्ट को चिट्ठी लिखने वाले संजीव भट्ट की खिंचाई करते हुए कहा कि उनका बर्ताव कोर्ट की गरिमा के अनुरूप नहीं है. भट्ट ने नवंबर में अपने वकील के जरिए पीठ के पास इसको लेकर चिट्ठी भेजी थी. भट्ट 1990 में जब गुजरात में जामनगर के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक थे तो उन्होंने एक मुलजिम को हिरासत में लिया था, जिसकी हिरासत में मौत हो गई. इसी अपराध में कोर्ट ने भट्ट को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. हाई कोर्ट की जिस पीठ ने उम्रकैद की सजा सुनाई उसमें जस्टिस एमआर शाह थे.
अब संजीव भट्ट इसी आधार पर जस्टिस शाह के पूर्वाग्रह से ग्रसित होने की आशंका जता रहे हैं. उन्होंने चिट्ठी में लिखा कि जस्टिस शाह को इस मामले की सुनवाई से अलग हो जाना चाहिए. संजीव भट्ट की तरफ से सीनियर एडवोकेट देवदत्त कामत ने दलील देते हुए कहा कि कुछ मुद्दों पर उन्हें शक है कि पीठ के जज पूर्वाग्रह से ग्रस्त हो सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रवि कुमार की पीठ ने याचिकाकर्ता भट्ट के वकीलों से कहा कि अपने क्लाइंट से जाकर कह दीजिए कि इस तरह की हरकतें हमें पसंद नहीं है. पीठ ने आगे कहा कि अगर आप उस चिट्ठी को लेकर गंभीर हैं तो हम बता दें कि हम इसे डिस्मिस कर रहे हैं.
कोर्ट ने 10 जनवरी तक टाली सुनवाई
जस्टिस शाह ने टिप्पणी की कि हाई कोर्ट के जज के रूप में बहुत सारे ऑर्डर पास किए जाते हैं तो क्या सुप्रीम कोर्ट में उनकी एसएलपी या अन्य याचिकाओं पर वो अब सुनवाई ना करे या उस जज को पीठ में रहने पर आपत्ति जताई जाएगी? संजीव भट्ट के वकील देवदत्त कामत ने कहा कि कई बार न्याय के लड़ाई लड़ रहे अपने मुवक्किल के कहने पर नाखुशी से भी हमें कुछ काम करने पड़ते हैं. उनके मुवक्किल का ही दबाव था कि वह इस तरह का एप्लीकेशन कोर्ट के सामने रखना चाहता है. अब पीठ ने नाराजगी जताने के बाद इस मामले को 10 जनवरी तक टाल दिया है.
भट्ट ने चिट्ठी में दो फैसलों का दिया हवाला
भट्ट ने अपनी चिट्ठी में जस्टिस एमआर शाह के हाई कोर्ट का जज रहते हुए दिए गए दो फैसलों का हवाला दिया है. एक तो दिसंबर 2011 का है, जिसमें संजीव भट्ट को कस्टडी डेथ के अपराध में उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी. दूसरा फैसला मार्च 2012 का है, वह भी ऐसे ही एक मामले से संबंधित है जिसमें संजीव भट्ट दोषी करार दिए गए थे. दोनों मुकदमों में भट्ट को राहत नहीं मिली थी. इसी को आधार बनाकर भट्ट ने सुप्रीम कोर्ट में चिट्ठी लिखकर आग्रह किया कि अब इस मामले की सुनवाई कर रही पीठ से जिसमें जस्टिस शाह भी अगुवाई कर रहे हैं उन्हें सुनवाई से अलग हो जाना चाहिए.