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एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक विजेता खिलाड़ी पूजा ठाकुर को राज्य में प्रथम श्रेणी अधिकारी पद पर खेल कोटे के तहत नियुक्ति देने से इंकार करने पर हिमाचल प्रदेश सरकार को सुप्रीम कोर्ट में झटका लगा है. सुक्खू सरकार को कोर्ट की फटकार भी सुननी पड़ी.
सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में 2015 में आए आदेश में कोई दखल देने से इंकार कर दिया. इसका सीधा अर्थ एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक विजेता खिलाड़ी को उत्पाद कर अधिकारी के तौर पर प्रथम श्रेणी अधिकारी के रूप में नियुक्ति मिलेगी.
राज्य सरकार के रवैए पर गहरी निराशा जताते हुए जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि क्या यह खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने का आपका तरीका है?
जस्टिस ओक ने कहा कि 2014 के एशियाई खेलों में किसी ने स्वर्ण पदक जीता था. आपके सीएम को व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए था. आपने इस खिलाड़ी को सात साल तक इधर-उधर दौड़ाया. खेल और खिलाड़ियों के मामले में राज्य का क्या ऐसा ही रवैया है?
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सरकार के व्यवहार पर कोर्ट ने किया विचार
पीठ ने आदेश दिया कि हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रथम प्रतिवादी यानी इस प्रतिष्ठित खिलाड़ी के साथ सरकार द्वारा किए गए व्यवहार के तरीके पर विचार किया है. उसने नवंबर 2014 में एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता है. तथ्यात्मक पहलुओं पर विचार करते हुए हम पाते हैं कि यह संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत हस्तक्षेप करने के लिए उपयुक्त मामला नहीं है.
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हाईकोर्ट ने दिया था नियुक्ति का आदेश
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने पूजा ठाकुर को जुलाई 2015 से एक्साइज और टैक्सेशन ऑफिसर के पद पर नियुक्त करने का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल हाईकोर्ट के आदेश में किसी भी सूरत में कोई भी दखल देने से इंकार कर दिया. यानी राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट में झटका लगा है. उसे हाईकोर्ट के आदेश पर अमल करना होगा.