
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने साल 2007 में एक सिपाही पर पत्नी की हत्या (Murder Case) के मुकदमे की सुनवाई के दौरान आरोपी पर एक लाख का जुर्माना (Fine) लगाया है. कोर्ट ने हत्या के आरोपी सिपाही पर खामख्वाह मामले को अदालत में घसीटते रहने के अपराध में यह जुर्माना लगाया है. चीफ जस्टिस एनवी रमणा की अगुआई वाली पीठ ने उस मुलजिम सिपाही की आरोप से मुक्त कर नौकरी पर बहाली की अर्जी खारिज भी कर दी.
सिपाही पर अपनी बीवी की हत्या का आरोप है. इस आरोप में वो नौकरी से सस्पेंड भी है. लेकिन पिछले 14 साल से वो मामले को अदालत में घसीट रहा है. जस्टिस रमणा ने टिप्पणी भी की कि ये दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थिति है. मुलजिम व्यवस्था का दुरुपयोग कर कानूनी दांव पेंच लगाकर अब तक फायदा उठाता रहा है.
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जस्टिस रमणा ने सिपाही के वकील को झिड़कते हुए कहा कि वो सिपाही है और दहेज के लिए पत्नी की हत्या का आरोपी भी. उसे तो बर्खास्त कर फ़ौरन जेल में डालना चाहिए. ये सिस्टम का दुर्भाग्य है. सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को तीन महीने में इस मामले की सुनवाई पूरी करने का निर्देश दिया साथ ही आरोपी सिपाही पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है.