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'प्राइवेट पार्ट छूना रेप की कोशिश नहीं...' टिप्पणी पर सुप्रीम कोर्ट ने लिया संज्ञान, इलाहाबाद HC के जज ने दिया था फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले का स्वतः संज्ञान लिया है जिसमें नाबालिग लड़की का प्राइवेट पार्ट छूना रेप का प्रयास नहीं कहा गया. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि पीड़िता के प्राइवेट पार्ट को छूना, उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ना और उसे खींचकर भागने का प्रयास करना रेप या रेप की कोशिश के अपराध के अंतर्गत नहीं आएगा.

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संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 25 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 10:11 PM IST

नाबालिग लड़की के साथ रेप की कोशिश से जुड़े एक मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के 17 मार्च को दिए विवादित फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को स्वतः संज्ञान लिया है. कल (बुधवार) को जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच इस मसले पर सुनवाई करेगी. 

इलाहाबाद कोर्ट ने क्या फैसला सुनाया था?

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि पीड़ित के ब्रेस्ट को पकड़ना, और पाजामे के नाड़े को तोड़ने के आरोप के चलते ही आरोपी के खिलाफ रेप की कोशिश का मामला नहीं बन जाता. फैसला देने वाले जज जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा ने 11 साल की लड़की के साथ हुई इस घटना के तथ्यों को रिकॉर्ड करने के बाद यह कहा था कि इन आरोप के चलते यह महिला की गरिमा पर आघात का मामला तो बनता है. लेकिन इसे रेप का प्रयास नहीं कह सकते.

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यह भी पढ़ें: दिल्ली हाईकोर्ट जज पर लगे आरोपों में सुप्रीम कोर्ट की पारदर्शिता न्यायपालिका के लिए कैसे है महत्वपूर्ण? यहां समझिए

इलाहाबाद हाई कोर्ट के निर्णय को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई से सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया था. याचिका में मांग की गई थी कि कोर्ट केंद्र सरकार और इलाहाबाद हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दे कि वो फैसले के इस विवादित हिस्से को हटा कर रिकॉर्ड में दुरुस्त करे.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 354 बी और पॉक्सो अधिनियम की धारा 9/10 के तहत मुकदमा चलाने का आदेश दिया था. इस विवादित फैसले को लेकर जमकर विरोध हुआ. कई लॉमेकर्स ने सुप्रीम कोर्ट से इस फैसले पर स्वत: संज्ञान लेने की मांग की थी. 

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