
सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को सुप्रीम कोर्ट से शनिवार रात राहत मिल गई. सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने तीस्ता सीतलवाड़ को एक हफ्ते की अंतरिम सुरक्षा प्रदान की, जिसके तहत उनकी गिरफ्तारी नहीं हो सकेगी और न ही उन्हें गुजरात हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार तुरंत सरेंडर करना होगा. तीन जजों की बेंच के सामने मामला आने से पहले शनिवार शाम को ही दो जजों की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की थी. हालांकि तब जमानत को लेकर दोनों जजों की राय अलग-अलग थी. उन्होंने इस मामले को बड़ी बेंच के पास सुनवाई के लिए भेजा था और शनिवार को ही मामले की सुनवाई की बात कही थी.
तीन जजों की बेंच ने की सुनवाई
तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत याचिका पर शनिवार को तीन जजों की बेंच ने सुनवाई की थी. सुनवाई शाम 9.15 पर शुरू हुई. जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच के सामने मामले को रखा गया. असल में तीस्ता सीतलवाड़ को गुजरात हाईकोर्ट ने शनिवार को उनकी जमानत याचिका रद्द करते हुए सरेंडर करने को कहा था. इस फैसले के खिलाफ वह सुप्रीम कोर्ट गई थीं.
हाई कोर्ट के आदेश को दी थी चुनौती
दरअसल 2002 गोधरा दंगा मामले गुजरात हाई कोर्ट के नियमित जमानत खारिज करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में तीस्ता सीतलवाड़ ने चुनौती दी है. गुजरात हाईकोर्ट ने तीस्ता सीतलवाड़ की नियमित जमानत की याचिका को खारिज करते हुए सीतलवाड़ को इस मामले की जांच कर रही SIT के सामने तुरंत आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया था. गुजरात हाई कोर्ट के इस आदेश को लेकर तीस्ता सीतलवाड़ ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है.
पहले दो जजों की बेंच ने की थी सुनवाई
शनिवार को इस मामले पर जस्टिस की अध्यक्षता वाली 2 जजों की बेंच ने सुनवाई की. यहां दोनों जजों की राय अलग होने के बाद इस मामले को बड़ी बेंच के पास सुनवाई के लिए भेजने का आग्रह करते हुए CJI के पास भेज दिया था. इसके बाद CJI ने मामले की सुनवाई के लिए जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ गठित की.
इसके बाद कोर्ट में क्या-क्या हुआ, सिलसिलेवार जानिए
सुनवाई शुरू होते ही कोर्ट ने तीस्ता को अंतरिम राहत देने और उन पर लगाई गई शर्तों के बारे में सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मांगा. तीस्ता के लिए वरिष्ठ वकील सीयू सिंह ने कहा, एक बार आरोप पत्र दायर होने के बाद, मामले को सुनवाई के लिए फरवरी 2023 में सत्र अदालत में भेज दिया गया. अभी आरोप तय नहीं हुए हैं, आरोप सत्र न्यायालय में लंबित हैं.
तीस्ता के वकील ने दी ये दलीलें
तीस्ता के वकील सी यू सिंह ने दलील देते हुए गुजरात हाईकोर्ट का आदेश बताया. उन्होंने कहा कि अंतरिम राहत को सुप्रीम कोर्ट के अगले आदेश तक जारी रखने में कानूनी और प्रक्रियागत रूप में भी कोई हर्ज नहीं होगा. तीस्ता का पासपोर्ट भी जमा है. जांच में सहयोग भी कर रही हैं. चार्ज फ्रेम हो चुके हैं. दो धाराएं गैर जमानती हैं. उन्होंने बताया कि तीस्ता को 26 जून 2022 को गिरफ्तार किया गया था.
एसजी तुषार मेहता ने राहत देने का किया विरोध
तीस्ता के वकील सीयू सिंह के दलील के बाद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अपनी दलीलों से तीस्ता को किसी भी तरह की राहत देने का विरोध किया. जस्टिस भूषण का कहना है कि जो व्यक्ति दस महीनों से इस कोर्ट के आदेश से बाहर है अगले एक हफ्ते और बाहर रहने से क्या दिक्कत हो सकती है? मेहता ने दलील दी कि तीस्ता भी एक आम अपराधी है जिसने फर्जी आरोप लगाए और जांच एजेंसी के साथ अदालत को भी गुमराह किया. जिस एसआईटी ने उन्हें गिरफ्तार किया उसे इसी कोर्ट ने ही नियुक्त किया था.
हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई हैरानी
एसआईटी के प्रमुख और सदस्य इसी कोर्ट ने तय किए थे. उसकी रिपोर्ट पर ही ये आदेश हाईकोर्ट ने दिए हैं. प्रोटेस्ट पेटिशन भी दाखिल हुई है जिसे अदालत ने सुना है. हाईकोर्ट ने सभी तर्कों और तथ्यों के साथ विस्तृत आदेश दिया है. कोर्ट 450 पेज के उस आदेश को देख ले. तीस्ता के मामले में हाई कोर्ट के द्वारा जारी आदेश को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने हैरानी जताते हुए कहा कि आखिर इस पूरे मामले में हाईकोर्ट इस प्रकार से कैसे आदेश जारी कर सकता है?
अगर उन्हें राहत दी गई तो क्या आसमान गिर जाएगाः कोर्ट ने की टिप्पणी
इस पर तुषार मेहता ने कहा कि उन्होंने (तीस्ता सीतलवाड़ ने) पूरे देश को बदनाम करने की कोशिश की है. एसजी की इस बात पर बेंच ने कहा कि, 'किसी को भी देश को बदनाम करने की इजाजत नहीं है, लेकिन अगर उन्हें अंतरिम राहत दे दी गई तो क्या आसमान गिर जाएगा.' जस्टिस गवई ने कहा कि कोर्ट के रास्ते में ट्रैफिक जाम में फंसे होने की वजह से उन्होंने हाईकोर्ट के आदेश पढ़ लिए हैं. जो दलीलें एसजी दे रहे हैं उनसे वो वाकिफ हैं. कोर्ट ने कहा कि कोई सामान्य आरोपी जिसकी अंतरिम जमानत खारिज हो गई हो वो सुप्रीम कोर्ट तो आता ही है.
कोर्ट के आदेश का असल मतलब समझिए
तमाम दलीलें सुनने के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने तीस्ता सीतलवाड़ को एक सप्ताह की सुरक्षा दी. इसके साथ ही कहा, मामले को उचित पीठ के समक्ष रखा जाएगा. कोर्ट के इस आदेश का सीधा अर्थ है कि तीस्ता को सरेंडर नहीं करना पड़ेगा. उनकी गिरफ्तारी पर हफ्ते भर के लिए रोक लग गई है. सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की पीठ ने गुजरात हाईकोर्ट के आदेश पर अमल को हफ्ते भर से रोक दिया गया है. कोर्ट ने कहा कि इस दौरान तीस्ता की गिरफ्तारी पर रोक रहेगी. इस बीच तीस्ता सुप्रीम कोर्ट की नियमित पीठ के समक्ष गुजरात हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दे सकती हैं.
इससे पहले तीस्ता सीतलवाड़ ने जब शाम को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था और हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी, तब 6:30 बजे कोर्ट ने मामले की सुनवाई की थी. उस दौरान उन्हें कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली थी, बल्कि मामला बड़ी बेंच के समझ भेजा गया था. सुनवाई कर रहे दोनों जज फैसले पर एक राय नहीं बना पाए थे. दोनों जज इस बात पर सहमत नहीं हो पाए कि राहत दी जाए या नहीं, इसलिए मामले को बड़ी बेंच के पास भेज दिया गया. उचित पीठ के गठन के लिए मामला सीजेआई के समक्ष रखा जाएगा.
उस दौरान कोर्ट में क्या-क्या हुआ, यहां जानिए
शाम साढ़े छह बजे हुई सुनवाई
जानकारी के मुताबिक, तीस्ता सीतलवाड़ गुजरात हाईकोर्ट के सरेंडर किए जाने के आदेश के खिलाफ शनिवार को ही सुप्रीम कोर्ट पहुंच गईं. शाम को ही खबर आई कि तीस्ता मामले में तत्काल सुनवाई हो सकती है. इसके बाद सुनवाई का समय 6:30 बजे सामने आया.
इन दो जजों ने की मामले की सुनवाई
मामले की सुनवाई जस्टिस ए एस ओका और प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच ने की. इस दौरान वकील सी यू सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसलों और आदेश का हवाला देते हुए राहत की गुहार लगाई, वहीं, गुजरात सरकार की वकील ने भी अपनी दलील दी. कोर्ट ने कहा कि हमें आदेश को देखना-पढ़ना होगा. सोमवार को भी सुनवाई हो जाए तो क्या होगा? तीस्ता के वकील ने कहा कि उन्हें आत्म समर्पण करना होगा और उनकी गिरफ्तारी होगी.
आसमान नहीं गिरने वालाः सुप्रीम कोर्ट
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, अगर मामले की सुनवाई मंगलवार को हुई तो आसमान नहीं गिरने वाला. बेहतर हो कि तबतक कोई कार्रवाई न हो. उन्होंने कहा कि वह 10 महीने से जमानत पर थीं. अगले 72 घंटे में क्या होगा? कोर्ट ने कहा कि, इस अदालत ने उन्हें अंतरिम जमानत पर रिहा करके अंतरिम सुरक्षा प्रदान की थी.
सुप्रीम कोर्ट के दोनों जजों की राय रही अलग-अलग
तीस्ता की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में दोनों जजों की राय अलग रही. मामले को सीजेआई के पास भेजा गया और तीन जजों की बेंच का गठन करने को कहा गया. सुप्रीम कोर्ट ने तीस्ता के मामले में सुनवाई करते हुए इस बाबत सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को आदेश दिया. पीठ ने कहा कि मामले को चीफ जस्टिस के पास तुरंत भेजा जाए ताकि इस मामले में चीफ जस्टिस तीन जजो की बेंच का गठन कर सकें और इस मामले की सुनवाई की जाए.
सुनवाई के दौरान सरकार ने दिए ये तर्क
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान गुजरात सरकार ने कहा कि तीस्ता ने गवाहों और सबूतों से छेड़छाड़ की. गुजरात सरकार ने कहा कि तीस्ता ने सभी संस्थानों को धोखा दिया और लोगों को बदनाम किया. तीस्ता ने न्यायिक प्रकिया को गलत जानकारी देकर गुमराह किया है. तुषार मेहता ने कहा कि तीन जजों की बेंच ने कहा था कि तीस्ता ने गवाहों को सिखाया है.
हाईकोर्ट ने दिया था तुरंत सरेंडर का निर्देश
बता दें कि, गुजरात हाई कोर्ट ने शनिवार को सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की नियमित जमानत याचिका खारिज करने के बाद उन्हें 'तुरंत आत्मसमर्पण' करने का निर्देश दिया था. तीस्ता पर 2002 के गोधरा कांड के बाद हुए दंगों से संबंधित मामलों में कथित तौर पर सबूतों से छेड़छाड़ करने और गवाहों को प्रशिक्षित करने का आरोप है. अदालत ने सुप्रीम कोर्ट जाने के आदेश पर रोक लगाने के उनके वकील के अनुरोध को भी खारिज कर दिया.
पिछले साल मिली थी अंतरिम जमानत
गुजरात दंगों से जुड़े एक मामले में गिरफ्तार की गईं तीस्ता सीतलवाड़ पिछले साल सितंबर में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली थी जिसके बाद उन्हें अहमदाबाद की साबरमती महिला जेल से रिहा किया गया. इसी के साथ कोर्ट ने कहा था कि उनकी रेगुलर बेल पर हाई कोर्ट फैसला सुना सकता है. फिलहाल के लिए उन्हें अंतरिम जमानत दे दी गई है. अपने आदेश में कोर्ट ने ये भी साफ कर दिया था कि तीस्ता को अपना पासपोर्ट सरेंडर करना पड़ेगा. जब तक हाई कोर्ट से उन्हें रेगुलर बेल नहीं मिल जाती, वे देश के बाहर नहीं जा सकती हैं.
तीस्ता पर ये हैं आरोप
तीस्ता पर आरोप है कि उन्होंने गवाहों को भड़काया था. सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री (अब प्रधानमंत्री) नरेन्द्र मोदी को क्लीन चिट दिए जाने की एसआईटी रिपोर्ट को चुनौती देने वाली जाकिया जाफरी की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि तीस्ता सीतलवाड़ अपने स्वार्थ सिद्ध करने में जुटी रहीं. कोर्ट ने संजीव भट्ट और आरबी श्रीकुमार की ओर से झूठा हलफनामा दायर किए जाने का भी जिक्र किया था.