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बिलकिस बानो केस में आज SC करेगा सुनवाई, गुजरात सरकार ने दोषियों की रिहाई को सही ठहराया

बिलकिस बानो केस में बलात्कारियों की रिहाई को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा. गुजरात सरकार ने इस मामले में सोमवार को SC में हलफनामा दाखिल किया है. सरकार ने हलफनामे में कहा है कि तीसरा पक्ष जनहित याचिका (PIL) की आड़ में आपराधिक मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकता है.

फाइल फोटो फाइल फोटो
संजय शर्मा/अनीषा माथुर/नलिनी शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 17 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 12:00 AM IST

बिलकिस बानो मामले में गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर दिया है. इस मामले में दोषियों की रिहाई को चुनौती दी गई है. मंगलवार को जनहित याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा. गुजरात सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि तीसरा पक्ष जनहित याचिका की आड़ में आपराधिक मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकता है.

गुजरात सरकार ने 11 दोषियों को रिहा करने के अपने फैसले का बचाव किया है. हलफनामे में कहा गया है कि राज्य सरकार ने सभी रायों पर विचार किया और 11 कैदियों को रिहा करने का फैसला किया. ऐसा सरकार ने इसलिए किया, क्योंकि उन्होंने जेल में 14 साल और उससे ज्यादा का समय बिता लिया था और उनका व्यवहार अच्छा पाया गया था. राज्य सरकार की मंजूरी के बाद 10 अगस्त को बंदियों को रिहा करने का आदेश जारी किया गया.

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'अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में नहीं दी गई रिहाई'

सरकार ने कोर्ट में कहा कि इस मामले में राज्य ने न्यायालय द्वारा निर्देशित 1992 की नीति के तहत प्रस्तावों पर भी विचार किया है. ये रिहाई नियम के मुताबिक हुई. याचिकाकर्ताओ का ये कहना गलत है कि इन लोगों को आजादी का अमृत महोत्सव के अवसर पर सजा में छूट दी गई.

केंद्र सरकार ने दी थी मंजूरी

गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि केंद्र ने बिलकिस बानो के दोषियों की रिहाई को मंजूरी दी. गुजरात सरकार ने हलफनामे में कहा कि केंद्र सरकार ने 11 जुलाई को पत्र के जरिए 11 दोषियों की रिहाई के लिए गृह मंत्रालय के माध्यम से मंजूरी दी थी.

क्या है बिलकिस बानो केस?

गुजरात के गोधरा में 2002 में दंगों के बाद बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप हुआ था. उसके परिवार के 7 लोगों की हत्या भी कर दी गई थी. इस मामले में 2008 में 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. इनमें से एक ने रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. कोर्ट ने रिहाई का फैसला गुजरात सरकार पर छोड़ दिया था. गुजरात सरकार ने रिहाई से जुड़ा फैसला लेने के लिए एक कमेटी बनाई थी. इस कमेटी की रिपोर्ट पर सरकार ने सभी दोषियों को रिहा कर दिया.

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