
2024 के अंत में तीन न्यायाधीशों के साथ भारत के मुख्य न्यायाधीश रिटायर हो जाएंगे. अगर ये खाली जगह नहीं भरे गए तो भारत के सर्वोच्च न्यायालय में 80,000 रिकॉर्ड मामले पेंडिंग रह जाएंगे. माना जाता है कि सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या 34 है, लेकिन दिसंबर 2023 के तीसरे सप्ताह में न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की रिटायरमेंट से पहले ही एक पद रिक्त हो गया है.
2024 की चार निर्धारित रिटायरमेंट अप्रैल में न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस के पद छोड़ने के साथ शुरू होंगी, उसके बाद मई में न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति हिमा कोहली सितंबर में शीर्ष न्यायालय को अलविदा कहेंगी.
न्यायमूर्ति कोहली की रिटायर के साथ, सुप्रीम कोर्ट में केवल दो महिला न्यायाधीश रह जाएंगी, जब तक कि कॉलेजियम शीर्ष अदालत में नई महिला न्यायाधीशों की नियुक्ति नहीं करता. दिलचस्प बात यह है कि 2024 में रिटायर होने वाले सभी न्यायाधीशों ने शीर्ष अदालत में अधिकतम चार साल या उससे कम समय बिताया है.
नवंबर 2024 में भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की रिटायरमेंट भी निर्धारित है. सीजेआई चंद्रचूड़ का स्थान न्यायमूर्ति संजीव खन्ना लेंगे, जो भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश का पद संभालेंगे. जस्टिस खन्ना का कार्यकाल 11 नवंबर 2024 से 13 मई 2025 तक रहेगा. अब सीजेआई चंद्रचूड़ पर जिम्मेदारी है कि वे शीर्ष अदालत में पदोन्नति के लिए नामों पर समय पर विचार करें ताकि लंबित मामलों की संख्या, जो 80,384 है, इससे आगे न बढ़े.
अन्य देशों में न्यायाधीशों के कार्यकाल की तुलना में भारतीय न्यायाधीशों का सर्वोच्च न्यायालय में कार्यकाल बहुत छोटा होता है. यूनाइटेड किंगडम में न्यायाधीश 75 वर्ष की आयु में और कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम और नॉर्वे में 70 वर्ष की आयु में रिटायर होते हैं. दिलचस्प बात यह है कि संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, न्यूजीलैंड और आइसलैंड में न्यायाधीशों का कार्यकाल उनके जीवनकाल के लिए होता है.