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नूपुर शर्मा को हथियार का लाइसेंस मिला, पैगंबर पर विवादित टिप्पणी कर आई थीं चर्चा में

नूपुर शर्मा बीजेपी में प्रवक्ता थीं. उन्होंने एक टीवी डिबेट में पैगंबर मुहम्मद के खिलाफ विवादित टिप्पणी की थी. इसके बाद काफी विरोध हुआ था. बीजेपी ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया था. नूपुर शर्मा के खिलाफ कई राज्यों में मामले भी दर्ज कराए गए. उन्हें लगातार जान से मारने की धमकियां भी मिल रही थीं.

नूपुर शर्मा (फाइल फोटो) नूपुर शर्मा (फाइल फोटो)
अरविंद ओझा
  • नई दिल्ली,
  • 12 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 10:39 AM IST

बीजेपी से निष्कासित नेता नूपुर शर्मा को हथियार का लाइसेंस मिल गया है. बताया जा रहा है कि उन्हें आत्मरक्षा के लिए हथियार का लाइसेंस मिला है. नूपुर शर्मा बीजेपी में प्रवक्ता थीं. उन्होंने एक टीवी डिबेट में पैगंबर मुहम्मद के खिलाफ विवादित टिप्पणी की थी. इसके बाद काफी विरोध हुआ था. बीजेपी ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया था. नूपुर शर्मा के खिलाफ कई राज्यों में मामले भी दर्ज कराए गए. उन्हें लगातार जान से मारने की धमकियां भी मिल रही थीं. 

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विवाद बढ़ने पर नूपुर ने मांगी थी माफी

नूपुर शर्मा ने जून 2022 में एक टीवी डिबेट में पैगंबर मुहम्मद और उनकी तीसरी पत्नी, आयशा के बारे में विवादास्पद बयान दिया था. इसे लेकर काफी विवाद भी हुआ था. देश के कई राज्यों में नूपुर के बयान को लेकर हिंसा भी हुई थी. इतना ही नहीं कई मुस्लिम देशों ने इस बयान की निंदा की थी. इसके बाद बीजेपी ने उन्हें निलंबित कर दिया था. हालांकि, विवाद बढ़ने के बाद नूपुर ने माफी मांग ली थीं. 

नूपुर का समर्थन करने पर हुईं हत्याएं

उधर, कई राज्यों में नूपुर शर्मा पर धार्मिक भावनाओं को भड़काने के आरोप में केस भी दर्ज हुए हैं. राजस्थान के उदयपुर में टेलर कन्हैयाल और पुणे में केमिस्ट उमेश कोल्हे की नूपुर शर्मा के समर्थन में पोस्ट करने पर हत्या भी कर दी गई. सुप्रीम कोर्ट ने नूपुर शर्मा को बड़ी राहत देते हुए उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही देशभर में उनके खिलाफ दायर केसों को भी एक जगह ट्रांसफर कर दिया है.

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इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने नूपुर शर्मा को कड़ी फटकार लगाई थी. सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस पारदीवाला ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा था कि देश में खराब हुए माहौल के लिए नूपुर शर्मा जिम्मेदार हैं. इस बात पर भी जोर दिया गया था कि नूपुर ने एक बार भी सामने से आकर माफी नहीं मांगी. उस सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस को भी कटघरे में खड़ा करते हुए साफ कहा गया कि FIR दर्ज होने के बाद भी उनकी गिरफ्तारी नहीं हुई. तब कोर्ट ने ये भी कहा था कि जो भी शख्स जिम्मेदारी वाले पद पर रहता है, उसकी तरफ से ऐसे बयान नहीं आ सकते.
 

 

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