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'चमत्कार दिखाने वाले जोशीमठ की धंसती जमीन रोककर दिखाएं', शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद की धीरेंद्र शास्त्री को चुनौती

शंकराचार्य ने बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री का नाम लिए बिना कहा कि चमत्कार दिखाने वाले जोशीमठ आकर धंसकती हुई जमीन को रोककर दिखाएं, तब उनके चमत्कार को मैं मान्यता दूंगा. स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने यह भी कहा कि वेदों के अनुसार चमत्कार दिखाने वालो को मैं मान्यता देता हूं.

शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने दी बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री को चुनौती शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने दी बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री को चुनौती
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 23 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 8:55 AM IST

बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री लगातार चर्चाओं में बने हुए हैं. एक ओर उन्हें विरोध का सामना करना पड़ रहा है तो दूसरी ओर कई नेताओं ने उनका समर्थन भी किया. इस बीच छत्तीसगढ़ के बिलासपुर पहुंचे जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने उन्हें चुनौती दी है.

शंकराचार्य ने बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री का नाम लिए बिना कहा कि चमत्कार दिखाने वाले जोशीमठ आकर धंसकती हुई जमीन को रोककर दिखाएं, तब उनके चमत्कार को मैं मान्यता दूंगा. स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने यह भी कहा कि वेदों के अनुसार चमत्कार दिखाने वालो को मैं मान्यता देता हूं, लेकिन अपनी वाहवाही और चमत्कारी वाले बनने की कोशिश करने वालों को मैं मान्यता नहीं देता. 

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पाकिस्तान को लेकर भी दिया था बयान

बता दें कि पिछले दिनों जबलपुर में दिए शंकराचार्य ने कहा था कि जब अंग्रेज भारत छोड़कर गए थे, उस समय मोहम्मद अली जिन्ना ने कहा था कि मुसलमानों को अलग कर दिया जाए क्योंकि वह अपनी धरती पर जाकर खुश रहेंगे. इसलिए भारत के टुकड़े किए गए थे और पाकिस्तान बनाया गया था, लेकिन उस समय भी कुछ मुसलमान भारत में ही रह गए. यदि उन्हें यहां सुख और शांति की प्राप्ति हो रही है तो फिर पाकिस्तान बनाने की क्या आवश्यकता है. इसलिए एक बार इस मामले में पुनर्विचार किया जाए और फिर से अखंड भारत का निर्माण किया जाए. 

धर्मांतरण एक राजनीतिक मुद्दा: शंकराचार्य 

इसी देश में रहना और हिंदुओं के बीच रहना दोनों की नियति है तो फिर अलग देश की आवश्यकता नहीं है. इसलिए एक बार फिर से पाकिस्तान पर पुनर्विचार कर दोनों देश को एक कर दिया जाए, इसमें कोई बहुत ज्यादा तकलीफ की बात नहीं है. केवल कागज पर दोनों देश को अपनी सहमति देनी होगी. धर्मांतरण के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि इसके पक्ष में बोलने वाले या विरोध करने वालों के पीछे धार्मिक कारण नहीं है, इसके पीछे राजनीतिक कारण है. 

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(इनपुट- मनीष)

 

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