
सुप्रीम कोर्ट ने अंकित तिवारी घूसकांड मामले में तमिलनाडु पुलिस की आगे की जांच पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही ED की याचिका पर तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी किया है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय जांच एजेंसी और राज्य सरकार के बीच रस्साकसी पर जताई चिंता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक प्रतिशोध की आशंका को खत्म करने के लिए एक पारदर्शी तंत्र की जरूरत है.सुप्रीम कोर्ट संघवाद के सिद्धांतों से छेड़छाड़ किए बिना मनी लॉन्ड्रिंग जांच के लिए ED के साथ जानकारी साझा करने के लिए राज्यों के लिए गाइडलाइन /तंत्र भी तैयार करेगा.
ईडी की याचिका में उसके अधिकारी अंकित तिवारी के खिलाफ रिश्वतखोरी की जांच राज्य के सतर्कता और भ्रष्टाचार निरोधक निदेशालय (DVAC) से केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को स्थानांतरित करने की मांग की गई है.
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और केवी विश्वनाथन की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए तमिलनाडु को अगली तारीख पर राज्य द्वारा अब तक एकत्र की गई सभी सामग्री जमा करने का भी निर्देश दिया. सुनवाई के दौरान अदालत ने एक निष्पक्ष और पारदर्शी तंत्र का पता लगाने की आवश्यकता पर बल दिया. कोर्ट ने सुझाव दिया कि इस तरह की व्यवस्था सभी राज्यों में लागू की जा सकती है.
जस्टिस सूर्यकांत ने राजनीतिक प्रतिशोध की आशंका को खत्म करने के लिए उक्त तंत्र की आवश्यकता पर जोर दिया. हाईकोर्ट के समक्ष जनहित याचिका दायर करने के तरीके और पारित आदेश पर टिप्पणी करने से इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मामले की निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से जांच के महत्व पर जोर दिया
अदालत के अनुसार ऐसे वास्तविक मामले हो सकते हैं, जिनकी ईडी को जांच करने की आवश्यकता है और कुछ मामले दुर्भावनापूर्ण हो सकते हैं. हालाकि यह सुनिश्चित करने के लिए एक तंत्र होना चाहिए कि वास्तविक मामलों को केवल इसलिए नजरअंदाज नहीं किया जाए, क्योंकि उन्हें एजेंसी द्वारा संभाला जाता है.
ईडी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को सूचित किया कि ईडी कार्यालयों पर छापे मारे गए थे और संबंधित अधिकारी से संबंधित सामग्री भी तमिलनाडु डीवीएसी द्वारा ले ली गई थी.
तमिलनाडु का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सवाल किया कि ईडी सभी एफआईआर का विवरण क्यों मांग रही है, जबकि उन्होंने अन्य राज्यों से नहीं पूछा था. अदालत ने सवाल किया कि जब एफआईआर ऑनलाइन अपलोड की जानी चाहिए तो इसमें गोपनीयता क्यों है. एसजी तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि एफआईआर वेबसाइट पर होनी चाहिए, लेकिन एफआईआर से संबंधित राज्य पुलिस की वेबसाइट सक्षम प्राधिकारी के आदेश पर ब्लॉक कर दी गई है.