Advertisement

1200 सांड और 800 बुल टैमर्स... कौन मारेगा बाजी, जल्लीकट्टू खेल का तीसरा दिन

मदुरई के अलंगनल्लूर जल्लीकट्टू खेल का आज तीसरा दिन है. इस बार 800 बुल टैमर्स अपने 1200 सांडों के साथ इस कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं. सर्वश्रेष्ठ बैल और बुल टैमर को पुरस्कार के रूप में एक कार दी जाएगी. वहीं, प्रतियोगिता में भाग लेने वाले हर एक बैल को सोने का सिक्का दिया जाएगा.

प्रतीकात्मक तस्वीर. प्रतीकात्मक तस्वीर.
प्रमोद माधव
  • मदुरई,
  • 17 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 7:52 AM IST

तमिलनाडु के मदुरई स्थित अलंगनल्लूर में सबसे प्रसिद्ध जल्लीकट्टू कार्यक्रम का आज तीसरा दिन है. इस बार 800 बुल टैमर्स अपने 1200 सांडों के साथ इस कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं. इस बार बुल टैमर्स को ऑनलाइन टोकन दिए दिए हैं, जिसमें QR कोड भी दिया गया है. तीसरे दिन का खेल शुरू होने से पहले सभी बुल टैमर्स और सांडों का पहले मेडिकल चेकअप किया जाएगा. उसके बाद ही वो खेल पाएंगे.

Advertisement

बैलों को मदुरै, थेनी, डिंडीगुल, त्रिची, कोयंबटूर, करूर, शिवगंगई और पुदुकोट्टई जिलों से लाया गया है. सर्वश्रेष्ठ बैल और बुल टैमर को पुरस्कार के रूप में एक कार दी जाएगी. वहीं, प्रतियोगिता में भाग लेने वाले हर एक बैल को सोने का सिक्का दिया जाएगा.

मेडिकल टीम जिसमें 90 कर्मचारी हैं और पशु चिकित्सा टीम जिसमें 70 कर्मचारी हैं, रेड क्रॉस स्वयंसेवकों के साथ एम्बुलेंस के साथ कार्यक्रम स्थल पर मौजूद हैं. सुरक्षा के लिए 1500 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है. क्योंकि खेल देखने के लिए भारी भीड़ आ रही है.

ये भी पढ़ें: हाईवे पर आपस में भिड़ गए दो सांड, नहीं रुकी लड़ाई तो लेनी पड़ी पुलिस की मदद

क्या होता है जल्लीकट्टू खेल?

बता दें कि जल्लीकट्टू जनवरी के मध्य में पोंगल की फसल के समय खेला जाने वाला एक लोकप्रिय खेल है. विजेता का फैसला इस बात से तय होता है कि बैल के कूबड़ पर कितने समय तक कंट्रोल किया गया है. प्रतियोगी को बैल के कूबड़ को पकड़ने की कोशिश करनी होती है. बैल को अपने कंट्रोल में करने के लिए उसकी पूंछ और सींग को पकड़ना होता है. बैल को एक लंबी रस्सी से बांधा जाता है. जीतने के लिए एक समय-सीमा में बैल को काबू में करना होता है. कुल मिलाकर बैल को कंट्रोल में करना इस खेल का टारगेट होता है. यह आमतौर पर तमिलनाडु में मट्टू पोंगल के हिस्से के रूप में प्रचलित है, जो चार दिवसीय फसल उत्सव के तीसरे दिन होता है. तमिल शब्द 'मट्टू' का अर्थ है बैल, और पोंगल का तीसरा दिन मवेशियों को समर्पित है, जो खेती की प्रक्रिया में एक प्रमुख भागीदार हैं.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement