
तमिलनाडु में 50 जगहों पर रैली निकालने को लेकर मद्रास हाई कोर्ट की सिंगल बेंच के फैसले को आरएसएस ने हाई कोर्ट की बड़ी बेंच में चुनौती दी है, जिसमें कहा गया था कि आरएसएस को रूट मार्च और बैठकें परिसर या स्टेडियम में आयोजित की जानी चाहिए.
मद्रास हाई कोर्ट में इस फैसले को सुब्रमण्यम ने चुनौती दी है. उन्होंने अपनी याचिका में राज्य सरकार के अधिकारियों को सजा देने की मांग की है. इन अधिकारियों में राज्य के गृह सचिव, पुलिस महानिदेशक, ग्रेटर चेन्नई के पुलिस आयुक्त और कोरात्तूर पुलिस इंस्पेक्टर शामिल हैं. इसमें कहा गया है कि आरएसएस को 2 अक्टूबर को रूट मार्च की अनुमति देने वाले आदेश का पालन नहीं किया गया.
बीते 4 नवंबर को मद्रास हाई कोर्ट के जस्टिस इलानथिरयान ने अपने आदेश में रूट मार्च निकालने के तरीकों पर शर्तें लगाई थीं. कोर्ट ने 50 में से 44 जगहों पर शर्तों के साथ मार्च निकालने की अनुमति दी थी. इसमें सबसे प्रमुख था कि आरएसएस को मैदान या स्टेडियम जैसे परिसरों में मार्च करना चाहिए. आदेश के तुरंत बाद आरएसएस ने तीन जगहों को छोड़कर सभी जगहों पर रूट मार्च को रद्द कर दिया था, जहां रूट मार्च की अनुमति थी.
अदालत ने लगाए थे जुलूस और रैली को लेकर प्रतिबंध
अदालत ने तमिलनाडु पुलिस द्वारा रूट मार्च किए जाने पर कानून और व्यवस्था के हालात पर चिंता को ध्यान में रखते हुए प्रतिबंध लगाए थे. याचिका में कहा गया है कि न्यायाधीश का आदेश, रिट याचिका पर पारित मूल आदेश को समीक्षा याचिकाओं को खारिज करने के बाद संशोधित करना अवैध है और न्यायालय की अवमानना अधिनियम के तहते अधिकार क्षेत्र से बाहर है.
पुलिस ने केवल 3 जगहों पर रैली की दी थी अनुमति
इससे पहले पुलिस ने केवल तीन जगहों पर रैली की इजाजत दी थी. इसके अलावा प्रशासन ने 23 इनडोर मीटिंग करने की भी मंजूरी दी थी, लेकिन 24 जगहों पर आरएसएस की मांग को खारिज कर दिया था. हालांकि बाद में हाई कोर्ट ने छह जगहों को छोड़कर 44 जगहों पर रैली और जुलूस निकालने की इजाजत दे दी थी.