
बलात्कार के मामले में बरी हुए पत्रकार तरुण तेजपाल से जुड़ी एक याचिका पर आज मंगलवार को बॉम्बे हाईकोर्ट की गोवा बेंच में सुनवाई हुई. यह याचिका तरुण तेजपाल को बरी किए जाने के खिलाफ है, जिसे गोवा सरकार ने दायर किया था. सुनवाई के दौरान तरुण तेजपाल के वकील अमित देसाई ने कहा कि वह चाहते हैं कि याचिका पर सुनवाई इन कैमरा यानी कोर्ट के बंद कमरे (प्राइवेट) में हो. लेकिन सॉलिस्टर जनरल तुषार मेहता ने इसका विरोध किया.
फिलहाल सुनवाई की अगली तारीख 31 अगस्त तय हो गई है. मंगलवार में सुनवाई के दौरान अमित देसाई और तुषार मेहता के बीच कुछ तीखी बहस भी हुई, जिसे जजों ने शांत कराया.
मेहता ने कहा - न्यायपालिका की संस्था फेल हुई
मेहता ने यहां तक कहा, 'यह मेरा तर्क नहीं है, लेकिन हल्के अंदाज में कहूं तो कपड़े उतारने के दो तरीके हैं. एक जब आरोपी पीड़ित के कपड़े उतारता है. दूसरा जब आरोपी को पब्लिक में अपने कपड़े उतरने का डर होता है. इस वजह से वह इन कैमरा सुनवाई की मांग करता है.'
कोर्ट मामले की अगली तारीख तय कर ही रहा था कि दोनों वकीलों की बहस हो गई. देसाई ने अपना तर्क देते हुए कहा कि इस मामले का ट्रायल भी इन कैमरा ढंग से हुआ था, इसलिए याचिका पर सुनवाई भी वैसे ही होनी चाहिए. इसके साथ ही देसाई ने मेहता के अन्य तर्कों पर भी आपत्ति जताई. दरअसल, मेहता ने कहा था कि तरुण तेजपाल मामले में न्यायपालिका की संस्था फेल हो गई है. उन्होंने यह भी कहा था कि देश को यह जानने का अधिकार है कि अगर कोई लड़की यौन शोषण की शिकायत देती है तो संस्था (कोर्ट) उससे कैसे निपटती है.
वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए होगी सुनवाई
आखिर में दोनों वकील इस बात राजी हुए कि मामले की सुनवाई फिलहाल वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए ही होगी. मेहता और देसाई दोनों ने कहा कि फिलहाल दोनों ही गोवा नहीं आना चाहेंगे, ऐसे में वर्चुअल सुनवाई ही ठीक है. दरअसल, गोवा कोर्ट अगले हफ्ते से फिजिकल सुनवाई शुरू कर रहा है. ऐसे में वर्चुअल सुनवाई की इजाजत लेने के लिए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एन वी रमणा से बात की जाएगी.
बता दें कि तरुण तेजपाल को 21 मई 2021 को पूरे 8 साल बाद बरी किया गया था. तब ही गोवा सरकार ने कहा था कि वह इसके खिलाफ अपील करेंगे. तहलका मैगजीन के पूर्व प्रधान संपादक तरुण तेजपाल पर 2013 में गोवा के एक लक्जरी होटल की लिफ्ट के भीतर महिला साथी का यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगा था.