
दक्षिणी राज्य तेलंगाना में विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू हो गईं हैं. राजनीतिक पार्टियां उम्मीदवारों की लिस्ट जारी करने लगीं हैं. लेकिन असल दिक्कत तो तभी शुरू होती है, जब उम्मीदवारों के नाम सामने आने शुरू होते हैं.
पार्टी से टिकट नहीं मिलने पर नेताओं में बगावत शुरू हो ही जाती है. तेलंगाना में भी ऐसा ही हो रहा है. जैसे-जैसे पार्टियां लिस्ट जारी कर रहीं हैं, वैसे-वैसे टिकट न मिलने पर नेताओं की बगावत भी सामने आ रही है.
ऐसी ही बगावत की एक कहानी पिता-बेटे की जोड़ी की है. म्यानमपल्ली हनुमंता राव को भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) ने मलकाजगिरी सीट से टिकट दिया था. लेकिन हनुमंता अपने बेटे रोहित के लिए भी बीआरएस से टिकट मांग रहे थे. लेकिन रोहित को टिकट नहीं मिला.
इसके बाद हनुमंता बीआरएस छोड़कर कांग्रेस में आ गए. कांग्रेस ने हनुमंता और रोहित, दोनों को ही विधानसभा का टिकट दे दिया.
लेकिन इससे कांग्रेस में बगावत शुरू हो गई. कांग्रेस के जिलाध्यक्ष एन. श्रीधर मलकाजगिरी से टिकट मिलने की उम्मीद जता रहे थे. लेकिन हनुमंता के पार्टी में आने के बाद उनका टिकट कट गया. लिहाजा, एन. श्रीधर ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया.
इतना ही नहीं, मेडक से कांग्रेस के जिलाध्यक्ष तिरुपति रेड्डी ने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. रेड्डी भी हनुमंता राव के कांग्रेस में आने से नाराज थे.
एम. राममोहन गौड़ भी टिकट बंटवारे को लेकर बीआरएस छोड़कर कांग्रेस में चले गए हैं. सिंगिरेड्डी सोमशेखर रेड्डी ने भी कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है.
रागिडी लक्ष्मणरेड्डी उप्पल विधानसभा से टिकट मांग रहे थे. लेकिन टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर कांग्रेस छोड़ दी. इसी तरह कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष पोन्नाला लक्ष्मिया ने भी हाल ही में पार्टी नेतृत्व से नाराज होकर बीआरएस में शामिल हो गए.