
सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड्स को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है. अपने फैसले में SC ने चुनावी बॉन्ड स्कीम को अवैध करार देते हुए उस पर रोक लगा दी. अदालत ने कहा है कि इलेक्टोरल बॉन्ड सूचना के अधिकार का उल्लंघन करता है. मतदाता को पार्टियों की फंडिंग के बारे में जानने का अधिकार है. कोर्ट ने अपने फैसले में एसबीआई से बॉन्ड खरीदने वालों की लिस्ट को भी सार्वजनिक करने को कहा है.
इलेक्टोरल बॉन्ड पर फैसला सुनाते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संवैधानिक बेंच ने कई अहम बातें कही है. 10 पॉइंट्स में जानिए कोर्ट द्वारा अपने फैसले में इलेक्टोरल बॉन्ड कही गई बड़ी बातें-
1. सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने चुनावी बॉन्ड योजना पर फैसला सुनाते हुए इसे असंवैधानिक करार दिया और साथ ही इसे रद्द भी कर दिया.
2. कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड को नागरिकों के सूचना के अधिकार का उल्लंघन बताया. इस फैसले के बाद सरकार द्वारा कंपनी अधिनियम की धारा 182 में किया गया संशोधन inevitable (अपरिहार्य) हो गया.
3. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि नागरिकों को यह जानने का अधिकार है कि सरकार के पास पैसा कहां से आता है और कहां जाता है. कोर्ट ने माना कि गुमनाम चुनावी बॉन्ड सूचना के अधिकार और अनुच्छेद 19(1)(ए) का उल्लंघन है.
4. राजनीतिक दलों की फंडिंग के बारे में जानकारी होने से लोगों को मताधिकार का इस्तेमाल करने में स्पष्टता मिलती है. फैसला सुनाते हुए CJI ने कहा कि राजनीतिक दलों की फंडिंग की जानकारी उजागर न करना मकसद के विपरीत है.
5. कोर्ट ने कंपनी अधिनियम में संशोधन (कॉर्पोरेट द्वारा राजनीतिक फंडिंग की अनुमति से संबंधित) को भी असंवैधानिक बताया है.
6. कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक दलों को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए मिलने वाली फंडिंग किसी गलत भावना को जन्म दे सकती है.
7. चुनावी बॉन्ड योजना काले धन पर अंकुश लगाने वाली एकमात्र योजना नहीं है. कई और अन्य विकल्प भी मौजूद हैं.
8. किसी कंपनी से मिले राजनीतिक चंदे का प्रभाव व्यक्तियों के योगदान की तुलना में अधिक गंभीर होता है. कोर्ट ने कंपनियों द्वारा दिए गए योगदान को पूरी तरह से व्यावसायिक लेन-देन कहा है. कंपनी अधिनियम की धारा-182 में संशोधन स्पष्ट रूप से कंपनियों और व्यक्तियों के साथ एक जैसा व्यवहार करती है.
9. कोर्ट ने कहा कि बैंक चुनावी बॉन्ड तुरंत बंद करें. इसके अलावा भारतीय स्टेट बैंक को कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड के माध्यम से दिए गए चंदे का डीटेल और जिन राजनीतिक दलों को यह मिला है, इसकी जानकारी देने को कहा है.
10. कोर्ट के फैसले के बाद SBI राजनीतिक दलों द्वारा भुनाए गए चुनावी बांड का विवरण देने के लिए बाध्य है. अब इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया (ईसीआई) 31 मार्च 2024 तक चंदा देने वालों की लिस्ट को अपने वेबसाइट पर पब्लिश करेगा.