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न रूस नाराज, न चीन की आपत्ति... 'संयुक्त घोषणा पत्र' को भारत ने 19 ताकतवर देशों से यूं दिलाई मंजूरी

जी20 का आयोजन भारत ने भव्य तरीके से किया. दुनियाभर के दिग्गज नेताओं ने देखा कि भारत में वो ताकत है कि दुनिया को विकास की राह दिखाए. हिंदुस्तान ने अपनी ताकत दिखा दी, इसके साथ ही पीएम मोदी ने ब्राजील के राष्ट्रपति को जी20 की अध्यक्षता का जिम्मा भी सौंप दिया.

G20 समिट के जरिए दुनिया ने देखा भारत का जलवा G20 समिट के जरिए दुनिया ने देखा भारत का जलवा
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 10 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 12:28 AM IST

G20 के सफल आयोजन के चलते पूरे विश्व ने भारत का जलवा देखा. भारत ने पूरी दुनिया का बता दिया कि आने वाला वक्त हमारा है. जी20 का तो समापन हो गया, मगर इस सम्मेलन ने पूरी दुनिया के लिए तरक्की के नए रास्ते खोल दिए हैं. इस सम्मेलन को भारत की कूटनीतिक जीत के रूप में देखा जा रहा है क्योंकि जिस तरह दुनिया के तमाम खेमों के मतभेदों को दूर करके दिल्ली घोषणा पत्र सर्वसम्मति से जारी कराने में भारत कामयाब रहा. वो भारत की ताकत का एहसास दुनिया को करा गया.

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जी20 का आयोजन भारत ने भव्य तरीके से किया. दुनियाभर के दिग्गज नेताओं ने देखा कि भारत में वो ताकत है कि दुनिया को विकास की राह दिखाए. हिंदुस्तान ने अपनी ताकत दिखा दी, इसके साथ ही पीएम मोदी ने ब्राजील के राष्ट्रपति को जी20 की अध्यक्षता का जिम्मा भी सौंप दिया. यानी अब 2024 के अगले जी20 सम्मेलन में ब्राजील जी20 सम्मेलन की मेजबानी करेगा और इसी के साथ जी20 के दिल्ली शिखर सम्मेलन का समापन हो गया. 

घोषणा पत्र के जरिए हुई भारत की कूटनीतिक जीत

इस घोषणा पत्र को क्यों भारत की कूटनीतिक जीत के रूप में देखा जा रहा है जरा इस बात को भी समझते हैं. इस घोषणा पत्र पर 100 फीसदी सहमति बनाने में भारत सफल रहा है. इस दौरान यूक्रेन जंग का जिक्र हुआ, लेकिन ना अमेरिका और यूरोपीय देश नाराज हुए ना रूस और चीन यानी सब एक पेज पर नजर आए. घोषणा पत्र में 4 बार यूक्रेन युद्ध का जिक्र किया गया. वहीं इसमें कही भी रूस का जिक्र नहीं किया गया. घोषणा पत्र में यूक्रेन के खिलाफ जंग की जगह यूक्रेन में जंग शब्द का इस्तेमाल हुआ. 

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G20 के सभी नेताओं ने माना पीएम मोदी का शांति मंत्र

बता दें कि इस घोषणा पत्र में आतंकवाद का 9 बार जिक्र किया गया. घोषणा पत्र में भारत की ये बात शामिल की गई कि परमाणु हथियारों का इस्तेमाल या धमकी देना अस्वीकार्य है. पीएम मोदी ने इस दौरान शांति मंत्र भी दिया. पीएम ने कहा कि ये युद्ध का काल नहीं है. इसे भी दिल्ली घोषणा पत्र में शामिल किया गया. 

दिल्ली घोषणा पत्र को विदेशी राजनयिक भी भारत की बड़ी कामयाबी बता रहे हैं. फ्रांस के राजनयिक सूत्रों का कहना है कि भारत ने सबको साथ लाने की शक्ति क्षमता का अद्भुत प्रदर्शन किया. फ्रांसीसी राजनयिक सूत्र का ये भी कहना है कि पेरिस के नजरिए से दिल्ली घोषणा पत्र बहुत की संतोषजनक है. यूरोपीय सूत्र बताते हैं कि बहुत मुश्किल सौदेबाजी थी और घोषणा पत्र पर सहमति भारत की महान उपलब्धि है.

शुक्रवार रात ही कह दी थी ये बात 

सूत्रों के मुताबिक शुक्रवार रात ही भारत ने घोषणा पत्र की कॉपी सदस्य देशों को बांटते हुए कहा था कि अगर इस पर सहमति नहीं बनी तो कोई घोषणा जारी नहीं होगी. इसका नतीजा सबके सामने है. सभी देशों ने सहमति जताई और भारत का रुख कारगर साबित हो गया.

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जी20 शेरपा ने दिल्ली घोषणापत्र पर आम सहमति बनाने में आई दिक्कतों का जिक्र करते सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि सर्वसम्मति बनाना पूरे जी20 का सबसे मुश्किल हिस्सा था. 200 से भी ज्यादा घंटे की नॉन स्टॉप बातचीत, 300 द्विपक्षीय बैठक और 15 ड्राफ्ट के बाद ये कामयाबी मिली. इस काम में मुझे दो शानदार अफसरों नागराज नायडू और इनम गंभीर ने सहयोग किया.

चीनी विश्लेषकों ने कही ये बात

बताते चलें कि भारत में आयोजित G20 शिखर सम्मेलन को लेकर चीनी विश्लेषकों ने कहा कि G20 अभी भी वैश्विक शासन के लिए एक महत्वपूर्ण बहुपक्षीय तंत्र है. प्रमुख शक्तियों के बीच जटिल संघर्षों के कारण समूह को शिथिलता के ज्यादा खतरों का सामना करना पड़ रहा है.

चीन की समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, जी20 के नेताओं ने अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई और वैश्विक विकास को बढ़ावा देने के लिए ठोस कदम उठाने का वादा किया. दो दिवसीय वार्षिक शिखर सम्मेलन के उद्घाटन दिवस पर घोषित एक घोषणा में, जी20 नेताओं ने कहा कि वे मजबूत, टिकाऊ, संतुलित और समावेशी विकास में तेजी लाने के लिए साझेदारी के माध्यम से ठोस तरीके से कार्य करेंगे.

चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग ने रविवार को 18वें जी20 शिखर सम्मेलन के तीसरे सत्र में कहा कि दुनिया जटिल और अस्थिर विकास के कठिन दौर से गुजर रही है और जैसे-जैसे कठिनाइयां बढ़ती जा रही हैं, आत्मविश्वास को मजबूत करने और भविष्य के लिए उम्मीदों को बढ़ाने की जरूरत बढ़ती जा रही है. वे दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाएं और कठिनाइयों और चुनौतियों का सक्रिय रूप से जवाब दें. ली कियांग ने कहा, जी20 सदस्यों को विशिष्ट मामलों से शुरुआत करनी चाहिए और वर्तमान में अच्छा करने का प्रयास करना चाहिए. यह देखते हुए कि सबसे जरूरी मुद्दा विकास है, ली ने बताया कि जी20 सदस्यों को विकास को वृहद-नीति समन्वय के केंद्र में रखना चाहिए.

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