
असम में घुसपैठ की कोशिश कर रहे तीन घुसपैठियों को पकड़कर सुरक्षाबलों ने बांग्लादेशी अफसरों को सौप दिया है. इन तीनों बांग्लादेशियों को अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पकड़ा गया था. इसकी जानकारी खुद असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने दी है.
न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक तीनों की पहचान मासूम खान, इकबाल हुसैन और मुजानुर रहमान के रूप में की गई है. इसको लेकर सीएम सरमा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, 'भारत-बांग्लादेश सीमा पर कड़ी निगरानी रखते हुए असम पुलिस ने अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास 3 बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान की और उन्हें तुरंत बांग्लादेश वापस भेज दिया गया, टीम ने अच्छा काम किया.'
बांग्लादेश में राजनीतिक उथल-पुथल के बाद घुसपैठ में तेजी
बता दें कि पड़ोसी देश बांग्लादेश में राजनीतिक उथल-पुथल के बाद अब तक असम में लगभग 100 घुसपैठियों को पकड़ा गया है और बांग्लादेश के अधिकारियों को सौंप दिया गया है. बीएसएफ ने पूर्वोत्तर में 1,885 किलोमीटर लंबी भारत-बांग्लादेश सीमा पर अपनी निगरानी बढ़ा दी है.
पुलिस महानिदेशक जी पी सिंह ने पहले कहा था कि असम पुलिस यह सुनिश्चित करने के लिए सीमा पर हाई अलर्ट बनाए हुए है कि कोई भी व्यक्ति अवैध रूप से राज्य में प्रवेश न करे. अधिकारी जी पी सिंह ने बताया था कि सीमा पर रक्षा की पहली पंक्ति में बीएसएफ है जबकि दूसरी पंक्ति के रूप में असम पुलिस भी हाई अलर्ट पर है.'
एक दिन पहले नवी मुंबई से सात बांग्लादेशी महिलाएं गिरफ्तार
अभी एक दिन पहले ही महाराष्ट्र के नवी मुंबई में अवैध रूप से रह रहीं सात बांग्लादेशी महिलाओं को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया था. पुलिस को खुफिया जानकारी मिली थी, जिसके बाद नवी मुंबई के क्रावे गांव स्थित एक आवासीय परिसर में पुलिस ने छापेमारी की थी.
महिलाओं के पास किसी भी तरह के कोई दस्तावेज नहीं थे. ये महिलाएं घरेलू कामकाज करती थीं. एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, एनआरआई पुलिस स्टेशन के एक अधिकारी ने बताया कि बांग्लादेश की ये महिलाएं दो अलग-अलग कमरों में रह रही थीं. यहां ये आसपास के घरों में काम करती थीं. पुलिस ने जब जांच-पड़ताल की तो पता चला कि ये महिलाएं भारत में बिना किसी वैध दस्तावेज के दाखिल हुई थीं और गांव में किराए के मकान में रह रही थीं. महिलाओं के पास न तो कोई पासपोर्ट था और न ही कोई वैध पहचान पत्र था.