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अंजनाद्री हिल्स पर हुआ था हनुमान का जन्म, तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम का दावा

तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) का दावा है कि भगवान हनुमान का जन्म अंजनाद्री हिल्स पर हुआ था. अंजनाद्री हिल, उन सात पहाड़ियों में से एक है, जिस पर श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर स्थित है.

अंजनाद्री हिल अंजनाद्री हिल
आशीष पांडेय
  • हैदराबाद,
  • 21 अप्रैल 2021,
  • अपडेटेड 1:56 PM IST
  • 2020 में विद्धानों की बनी थी कमेटी
  • कमेटी ने अंजनाद्री हिल्स पर लगाई मुहर

तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) का दावा है कि भगवान हनुमान का जन्म अंजनाद्री हिल्स पर हुआ था. टीटीडी का कहना है कि विद्धानों की हाई लेवल कमेटी ने पाया कि भगवान हनुमान का जन्मस्थान अंजनाद्री हिल्स है. 

टीटीडी ने दिसंबर 2020 में राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मुरलीधर शर्मा, एसवी वैदिक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सानिध्यनम शर्मा, इसरो के वैज्ञानिक रेमिनी मूर्ति, राज्य पुरातत्व के डिप्टी निदेशक विजयकुमार, प्रोफेसर रानीसदासिव मूर्ति, जे. रामकृष्ण और शंकर नारायण की समिति बनाई थी.

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भगवान हनुमान के जन्मस्थान की घोषणा टीटीडी ने पहले तेलुगु नववर्ष उगादि पर करने की सोची थी, लेकिन बाद में फैसला बदल दिया गया और आज यानी श्रीरामनवमी के दिन इसका ऐलान किया गया है. प्रकाशम जिले के डॉ. अन्नदानम चिदंबरा शास्त्री ने अपनी रिसर्च में पाया है कि भगवान हनुमान का जन्मस्थान वास्तव में अंजनाद्री पहाड़ी है.

डॉ. अन्नदानम चिदंबरा शास्त्री का कहना है, 'हनुमान की मां अंजना देवी, गौतम महर्षि-अहल्या दंपति की बेटी थीं. गौतम महर्षि ने अपनी बेटी को एक कपि राज को दे दिया, फिर उन्होंने केसरी से शादी कर ली. दंपती अंजनाद्री पहाड़ी पर गए और वहां अंजनी ने बच्चे के लिए भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए तपस्या की. बाद में भगवान शिव के आशीर्वाद से अंजनी ने अंजनाद्री पहाड़ी पर हनुमान को जन्म दिया.'

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डॉ. अन्नदानम चिदंबरा शास्त्री ने कहा, 'वाल्मीकि रामायण में एक जगह वर्णन है कि कपि राजा सुग्रीव ने अपने राज्य के सभी शक्तिशाली योद्धाओं को माता सीता की खोज अभियान में लगाया, सुग्रीव ने अंजनाद्रि के शक्तिशाली योद्धा-योद्धाओं को भी तैनात किया था, इसका मतलब है कि रामायण काल से ही अंजनाद्री हिल मौजूद है.'

वास्तव में हनुमान के जन्मस्थान पर अलग-अलग मत हैं. स्वामी गोपालानंद बाबा का दावा है कि हनुमान का जन्मस्थान वर्तमान झारखंड में हुआ था. स्वामी गोविदानंद सरस्वती ने कहा कि हंपी (कर्नाटक) के पास किष्किंधा में हनुमान का जन्म स्थान है और कुछ लोग कहते हैं कि गोकर्ण उनकी जन्मभूमि है, लेकिन, डॉ. अन्नदानम चिदंबरा शास्त्री उन सभी दावों का खंडन किया है.

 

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