
लाखों लोगों के प्रिय प्रसाद, पवित्र तिरुपति का लड्डू हाल ही में एक बड़े विवाद का केंद्र बन गए. आरोप सामने आए कि लड्डू में पशु वसा हो सकती है, जिससे भक्तों में आक्रोश फैल गया और मंदिर की मिठाइयों की शुद्धता को लेकर चिंताएं बढ़ गईं. इंडिया टुडे ने तीन सप्ताह तक देश भर में जांच की, जिसमें प्रसिद्ध तिरुपति के लड्डू सहित प्रमुख मंदिरों से देसी घी के लड्डू के सैंपल एकत्र किए गए. इस्तेमाल किए गए देसी घी की गुणवत्ता और प्रामाणिकता को सत्यापित करने के लिए श्रीराम इंस्टीट्यूट फॉर इंडस्ट्रियल रिसर्च में सैंपल की जांच की गई.
कहां से शुरू हुआ विवाद?
यह विवाद 18 सितंबर को शुरू हुआ जब आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू ने आरोप लगाया कि जगन रेड्डी सरकार के कार्यकाल के दौरान तिरुपति लड्डू में पशु वसा की मिलावट की गई थी. इस आरोप से राजनीतिक और धार्मिक आक्रोश भड़क गया. अंततः मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया. जस्टिस बीआर गवई ने कहा, 'भगवान को राजनीति से दूर रखा जाना चाहिए.' मामले की अगली सुनवाई 22 नवंबर को होनी है.
NDDB (राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड) CALF लैब की रिपोर्ट ने विवाद को और बढ़ा दिया, जिसमें पता चला कि तिरुपति लड्डू के सैंपल में पाम ऑयल और संभावित रूप से पशु वसा सहित विदेशी वसा पाई गई थी. निष्कर्षों से पता चला कि पशु वसा में गोमांस वसा और चरबी शामिल हो सकती है.
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इंडिया टुडे ने 17 अक्टूबर को श्रीराम इंस्टीट्यूट फॉर इंडस्ट्रियल रिसर्च को सैंपल सौंपे. नमूनों में तिरुपति के लड्डू और मथुरा-वृंदावन की मिठाइयों के दो अतिरिक्त नमूने शामिल थे. श्रीराम इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. मुकुल दास ने बताया कि इन नमूनों में पशु या वनस्पति वसा नहीं थे. उन्होंने पुष्टि की, 'इन नमूनों में न तो पशु वसा थी और न ही वनस्पति वसा... तीनों देसी घी से बने थे और वे पूरी तरह से सुरक्षित हैं.'
डॉ. दास ने इस मामले पर कहा, कुछ दिन पहले, यह पाया गया कि तिरुपति में इसे जानवरों की चर्बी से बनाया जा रहा था. अगर हम इसे धार्मिक दृष्टिकोण से देखें, तो यह निश्चित रूप से हमारी आस्था के साथ समझौता है.
आखिरकार, प्रयोगशाला के नतीजों ने तिरुपति लड्डू के नमूने के साथ-साथ मथुरा-वृंदावन की मिठाइयों को भी मंजूरी दे दी, जिससे पुष्टि हुई कि इस्तेमाल किया गया देसी घी वास्तव में शुद्ध था. हालांकि, हाथरस से मिले चौथे नमूने ने खतरे की घंटी बजा दी.
ब्रांडेड देसी घी के रूप में सामने आए इस सैंपल में केवल वनस्पति और रिफाइंड तेल थे, जो बताता है कि मिलावट अन्य जगहों पर भी जारी है. यह विशेष घी का पैकेट हाथरस के नकली घी आपूर्तिकर्ताओं पर इंडिया टुडे के हाल ही में किए गए स्टिंग ऑपरेशन के दौरान खरीदा गया था. चूंकि यह वनस्पति घी और रिफाइंड तेलों का मिश्रण था, जिसे देसी घी के रूप में पैक किया गया था, इसलिए प्रयोगशाला में हुए टेस्टिंग में केवल इसकी नकली होने की बात सामने आई.
तिरुपति लड्डू विवाद के चलते इंडिया टुडे की यह रिपोर्ट भक्तों को उनके द्वारा खाए जाने वाले मिठाइयों की गुणवत्ता और प्रामाणिकता के बारे में सचेत कर रहा है. खासकर उन मिठाइयों के बारे में जो प्रसिद्ध मंदिरों के बाहर बेची जा रही हैं.