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TMC नेता मदन मित्रा बोले- 'एक दिन नरेंद्र मोदी स्टेडियम का नाम बदलकर बेटे के नाम पर कर देंगे शाह'

टीएमसी नेता मदन मित्रा ने कहा, ''चीजों को बदलना उनकी (बीजेपी) संस्कृति है. जैसा कि मोदी ने राजीव गांधी के अवॉर्ड वाले नाम को बदल दिया है, शायद अमित शाह एक दिन नरेंद्र मोदी स्टेडियम का नाम बदल कर अपने बेटे जय शाह के नाम पर रखेंगे."

Madan Mitra Madan Mitra
सूर्याग्नि रॉय /इंद्रजीत कुंडू
  • कोलकाता,
  • 07 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 9:43 PM IST
  • केंद्र ने राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड का नाम बदला
  • टीएमसी नेता मदन मित्रा ने साधा बीजेपी पर निशाना

केंद्र सरकार ने बीते दिन राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड का नाम बदलकर मेजर ध्यान चंद खेल रत्न अवॉर्ड कर दिया. मोदी सरकार के इस फैसले को जहां कई नेताओं ने सराहा तो कई दलों के नेताओं ने सवाल भी खड़े किए. तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सुखेंदु शेखर रॉय ने इसे बीजेपी सरकार की गंदी ट्रिक करार दिया. इसके बाद टीएमसी के ही वरिष्ठ नेता मदन मित्रा ने दावा किया कि चीजों को बदलना बीजेपी की संस्कृति है.

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टीएमसी नेता मदन मित्रा ने कहा, ''चीजों को बदलना उनकी (बीजेपी) संस्कृति है. जैसा कि मोदी ने राजीव गांधी के अवॉर्ड वाले नाम को बदल दिया है, शायद अमित शाह एक दिन नरेंद्र मोदी स्टेडियम का नाम बदल कर अपने बेटे जय शाह के नाम पर रखेंगे."

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को घोषणा की कि भारत के सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार कर दिया गया है. टीएमसी नेता मित्रा ने आगे कहा कि उनके कॉमेंट से उन्हें पार्टी की ओर से शो कॉज नोटिस मिल सकता है, लेकिन वह ममता बनर्जी से 2024 के आम चुनावों में 42 सीटें जीतने के बाद नरेंद्र मोदी इंटरनेशनल स्टेडियम का नाम बदलकर अभिषेक बनर्जी स्टेडियम करने का आग्रह करेंगे.

ममता ने मोदी को लिखा लेटर

वहीं, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को संसद में नया बिजली (संशोधन) विधेयक, 2020 पेश करने के केंद्र के फैसले के विरोध में पीएम मोदी को एक पत्र लिखा. ममता बनर्जी ने कहा कि विधेयक को पिछले साल पेश करने का प्रस्ताव था, लेकिन उनकी पार्टी ने नए विधेयक के प्रावधानों पर आपत्ति जताई थी. विधेयक के प्रावधानों को ममता बनर्जी ने जनविरोधी बताया है. ममता का कहना है कि संविधान के अनुसार बिजली कॉनकरेंट लिस्ट में एक विषय है और इस प्रकार इस विषय पर किसी भी कानून को राज्यों के साथ पूर्व परामर्श की आवश्यकता है.

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