
राज्यसभा में बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक पर चर्चा के दौरान तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद साकेत गोखले आसन से ही भिड़ गए. साकेत गोखले ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) मजदूरों का मुद्दा उठा दिया. उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में 21 लाख मनरेगा मजदूर हैं. उनका भुगतान नहीं किया जा रहा है.
इस पर आसन से डिप्टी चेयरमैन हरिवंश ने उन्हें रोका. डिप्टी चेयरमैन ने कहा कि नियमों के मुताबिक आपको पता है कि आप बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक पर बोल सकते हैं. साकेत गोखले ने रूलिंग की मांग की और कहा कि पश्चिम बंगाल की आवाज को क्यों कुचला जा रहा है. पश्चिम बंगाल के लिए अलग रूल क्यों है.
डिप्टी चेयरमैन ने इस पर कहा कि नहीं, ये सभी के लिए है और यहां कोई अलग नियम नहीं है. साकेत गोखले ने आगे बोलने की अनुमति मांगी जिस पर डिप्टी चेयरमैन ने कहा नहीं. आप नियम के मुताबिक विषय पर नहीं बोल रहे हैं. फिर टीएमसी सांसद ने कहा कि मुझे इसीलिए बोलने से रोका जा रहा है क्योंकि मैं प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ नहीं कर रहा हूं. इस पर डिप्टी स्पीकर ने कहा कि आप अपने समय का नुकसान कर रहे हैं. विषय पर बोलिए.
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साकेत गोखले ने सदन में क्रेडिट कार्ड और पर्सनल लोन के आंकड़े बताए और कहा कि ये देश की कुल जीडीपी का करीब-करीब 25 फीसदी है. लोग लोन लेने के लिए मजबूर हो रहे हैं. इस वित्तीय वर्ष के शुरुआती नौ महीनों में ही गोल्ड लोन 68 फीसदी बढ़ा है. उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के समय प्रधानमंत्री कहते थे कि ये आपका मंगल सूत्र छीन लेंगे. साकेत गोखले ने कहा कि महिलाओं का मंगलसूत्र विपक्ष नहीं छीन रहा, आप लोन के लिए गिरवी रखने को मजबूर कर रहे हैं.
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टीएमसी सांसद ने यह भी कहा कि एक आंकड़े के मुताबिक मासिक वेतन का 33 फीसदी हिस्सा लोन के ईएमआई भरने में जा रहा है. उन्होंने कहा कि शहरी इलाकों में 70 फीसदी आय ईएमआई भरने, आटा और सब्जी खरीदने में जाता है. साकेत गोखले ने एनपीए के आंकड़े भी सदन में गिनाए और राइट ऑफ पर भी सवाल उठाए.