
टीएमसी नेता और राज्यसभा सांसद सुष्मिता देव ने काफिले पर हमले के मामले में कार्रवाई न करने पर त्रिपुरा पुलिस पर निशाना साधा है. दरअसल, पिछले दिनों सुष्मिता देव ने काफिले पर हमला हुआ था. इस हमले को का एक वीडियो सुष्मिता देव ने पुलिस को दिया था. वहीं, पुलिस का कहना है कि जो वीडियो उन्हें दिया गया था, वह काफी छोटा है और उससे आरोपियों के बारे में बहुत अधिक जानकारी नहीं मिली है.
पुलिस के बयान पर भड़कीं सुष्मिता देव
पुलिस के इस बयान पर सुष्मिता देव भड़क गईं. उन्होंने ट्वीट किया, अगली बार जब हमला होगा, मैं लंबा वीडियो बनाऊंगी और अपने ऊपर हमला करने वालों से कहूंगी कि वे हमें पीटने और कार पर हमला करने से पहले अपना पता, फोन नंबर दे जाएं. उन्होंने आगे लिखा, त्रिपुरा पुलिस के लिए कार्यकर्ताओं को लगीं चोटें गंभीर अपराध नहीं है. उन्होंने मुख्यमंत्री बिप्लब देब पर निशाना साधते हुए कहा, कृप्या पुलिस को अच्छा ट्वीट लिखकर दीजिए.
Next attack I will try to take longer videos & ask my attackers for their address, phone numbers as they beat us & break our cars.
Mamun khans & Surjya Sarkars fatal injuries are not serious offences for @Tripura_Police @BjpBiplab pls draft better tweets for the police. https://t.co/zcDt3Xu7Ua
भाजपा पर लगाया हमले का आरोप
सुष्मिता देव त्रिपुरा के दौरे पर हैं. पिछले दिनों उन्होंने अपने काफिले पर हमले का आरोप लगाया था. सुष्मिता देव का आरोप था कि उनके काफिले पर भाजपा के गुंडों ने हमला किया. इतना ही नहीं वे हमलावरों पर कार्रवाई के लिए लगातार विरोध प्रदर्शन भी कर रही हैं.
पुलिस ने क्या कहा?
पुलिस ने जवाब में कहा, सुष्मिता देव की शिकायत पर केस दर्ज किया गया था. जांच में 9 लोगों के खिलाफ सबूत मिले हैं. उनके खिलाफ नोटिस जारी किए गए हैं. शिकायतकर्ता द्वारा हमले का कथित छोटा वीडियो और चार लोगों के नाम दिए गए थे. हालांकि, इनके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं गई थी. वीडियो से संदिग्धों की पहचान में भी मदद नहीं मिली. इनपुट के आधार पर 4 लोगों की पहचान की गई. लेकिन इन लोगों पर पर्याप्त सबूत थे कि वे हमले के समय मौके पर मौजूद नहीं थे. ऐसा लगता है कि शिकायतकर्ता द्वारा जानबूझकर इन व्यक्तियों को फंसाने का प्रयास किया गया, ताकि जांच ड्यूटी पर दबाव डाला जा सके.