
कोरोना संकट के बीच डॉक्टरों और अन्य फ्रंटलाइन वर्कर्स के साथ कंधे से कंधा मिलाकर पत्रकार भी अपना दायित्व निभा रहे हैं. कोरोना प्रभावित इलाकों में जाना, संक्रमित लोगों से बातचीत, उनके परिजनों का हाल चाल जानना अब पत्रकारों की दिनचर्या में शामिल हो गया है. कोरोना संकट के बीच पत्रकार की भी जान गई है. कई पत्रकारों ने कोरोना के चलते दम तोड़ा है. कई संक्रमित होकर ठीक भी हुए हैं.
इस बीच तमिलनाडु सरकार ने पत्रकारों की सुध ली है. राज्य सरकार ने पहले ही पत्रकारों को फ्रंटलाइन वर्कर्स की श्रेणी में शामिल किया था. अब राज्य सरकार ने एक नया बयान जारी कर कोरोना से मरने वाले पत्रकारों के परिजनों को मिलने वाली मुआवजे की रकम को बढ़ा दिया है.राज्य सरकार ने सूबे के पत्रकारों का स्पेशल इंसेंटिव बढ़कार 3 हजार से बढ़ाकर पांच हजार कर दिया है. इतना ही नहीं सरकार ने कोरोना से मरने वाले पत्रकारों के परिजनों को मिलने वाले मुआवजे की रकम तीन लाख से बढ़ाकर दस लाख कर दी है.
बता दें कि कोरोना की दूसरी लहर में देश ने कई वरिष्ठ पत्रकारों को खो दिया. जिले, कस्बे, गांवों में काम कर रहे तमाम पत्रकार भी इस जानलेवा वायरस के सामने हार गए. दिल्ली आधारित इंस्टीट्यूट ऑफ परसेप्शन स्टडीज की एक रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल 2020 से 16 मई 2021 तक कोरोना संक्रमण से कुल 238 पत्रकारों की मौत हो चुकी है.