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टूलकिट केस: 26 जनवरी को डिजिटल स्ट्राइक और फिजिकल एक्शन की थी साजिश, दिल्ली पुलिस का दावा

पुलिस का दावा है कि इस टूल किट का मकसद दुष्प्रचार करना, डिजिटल स्ट्राइक करना, ट्विटर स्टॉर्म पैदा करना, लोगों में असंतोष पैदा करना और किसान आंदोलन को धार देना था. इसका उद्देश्य इस प्रदर्शन को पूरी दुनिया में ले जाना और भारत के दूतावासों को टारगेट करना था.

26 जनवरी को लाल किले पर प्रदर्शनकारी (फाइल फोटो-पीटीआई) 26 जनवरी को लाल किले पर प्रदर्शनकारी (फाइल फोटो-पीटीआई)
तनसीम हैदर
  • नई दिल्ली,
  • 15 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 6:56 PM IST
  • जूम मीटिंग से डिजिटल स्ट्राइक की बनी साजिश
  • दिल्ली पुलिस ने किया दावा
  • ट्विटर स्टॉर्म पैदा करने की रणनीति बनाई गई

टूल किट केस में पर्यावरण एक्टिविस्ट दिशा रवि की गिरफ्तारी के बाद आलोचना झेल रही दिल्ली पुलिस ने प्रेस कॉन्फेंस कर अपना पक्ष रखा है. दिल्ली पुलिस के साइबर सेल के ज्वाइंट कमिश्नर प्रेम नाथ ने कहा कि जनवरी महीने में टूलकिट बनाया गया था. पुलिस का दावा है कि इस टूल किट का मकसद दुष्प्रचार करना, डिजिटल स्ट्राइक करना, ट्विटर स्टॉर्म पैदा करना, लोगों में असंतोष पैदा करना और किसान आंदोलन को धार देना था. इसका उद्देश्य इस प्रदर्शन को पूरी दुनिया में ले जाना और भारत के दूतावासों को टारगेट करना था.

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जूम मीटिंग से प्लानिंग 

पुलिस ने दावा किया है कि इसी सिलसिले में 11 जनवरी को एक जूम मीटिंग की गई थी, इस मीटिंग में दिशा रवि, शांतनु और निकिता जैकब शामिल थे. इस मीटिंग में खालिस्तान संगठन से जुड़े पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन का एमओ धालीवाल कनाडा से जुड़ा था. 

मीटिंग में गणतंत्र दिवस से पहले ट्विटर स्टॉर्म पैदा करने की रणनीति बनाई गई. इसके लिए हैश टैग तय किए गए. इसका मकसद किसानों के बीच असंतोष पैदा करना और गलत जानकारी फैलाना था. पुलिस के अनुसार लगभग 60 से 70 लोग जूम मीटिंग में शामिल हुए.   

साजिश को अंजाम तक पहुंचाने के लिए बनाया व्हाट्सएप ग्रुप

दिल्ली पुलिस ने कहा कि पूरी साजिश को अंजाम तक पहुंचाने के लिए एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया गया. पुलिस का दावा है कि दिशा और निकिता के लैपटॉप से आपत्तिजनक सूचनाएं बरामद की गई हैं. 

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पुलिस ने खुलासा किया है कि खालिस्तान समर्थक पोएटिक जस्टिस पहले से ही प्रतिबंधित संगठन है और एमओ धालीवाल ने कनाडा के एक शख्स पुनीत के जरिए निकिता से संपर्क किया.  

पुलिस का कहना है कि टूलकिट बहुत स्मार्ट तरीके से बनाया गया था. इसमें सभी डिटेल थे, जैसे कि किसे फॉलो करना है, किसे टैग करना है और क्या शेयर करना है. इस टूलकिट में कई हाइपरलिंक हैं, जहां खालिस्तान से जुड़े कंटेट मौजूद हैं. 

पुलिस का कहना है कि ये टूलकिट को पब्लिक डोमेन में शेयर नहीं किया जाना था, लेकिन इसके गलती से शेयर कर दिया गया.

टूलकिट में तिथिवार एक्शन प्लान 

पुलिस का दावा है कि इस टूलकिट तिथिवार एक्शन प्लान का वर्णन है. इसमें 26 जनवरी को डिजिटल स्ट्राइक का जिक्र है. पुलिस का कहना है कि जैसा कि आप जानते हैं कि 26 जनवरी को हैशटैग के जरिए डिजिटल स्ट्राइक किया गया था,  इससे पहले 23 जनवरी को ट्वीट स्टॉर्म, इसके बाद 26 जनवरी को फिजिकल एक्शन की भी चर्चा है. 

पुलिस का दावा है कि टूलकिट के दूसरे भाग में भारत की सांस्कृतिक विरासत को नष्ट करने की बात कही गई है, जैसे कि चाय और योग को और दुनिया के दूसरे देशों में भारत के दूतावास को निशाना बनाने का जिक्र था. 

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पुलिस ने कहा कि जैसा टूलकिट में लिखा गया था वैसा ही इन्होंने अमल करने की कोशिश की थी. इन चीजों की जांच के बाद 4 फरवरी को एक केस दर्ज किया गया था. 

दिल्ली पुलिस ने अब मुंबई की वकील, पर्यावरण कार्यकर्ता और टूलकिट केस की आरोपी निकिता जैकब पर शिकंजा कस दिया है. निकिता के खिलाफ गैरजमानती वारंट किया गया है. वहीं गिरफ्तारी की तलवार से बचने के लिए निकिता ने बॉम्बे हाईकोर्ट में गिरफ्तारी से राहत की अर्जी लगाई है जिस पर कल सुनवाई होगी. शांतनु के खिलाफ भी गैर जमानती वारंट जारी दिया गया है. 

पुलिस का दावा है कि दिशा के मोबाइल से संवेदनशील जानकारियां मिली हैं, दिशा ने अपने मोबाइल से एक व्हाट्सएप ग्रुप को मिटा दिया था, उसने कई दस्तावेज ग्रेटा को टेलिग्राम के जरिए भेजा था. इन सब का उद्देश्य भारत सरकार के खिलाफ असंतोष पैदा करना था. 

 

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