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टूलकिट केस में अब फाइनेंशियल एंगल से भी होगी जांच, खंगाले जाएंगे आरोपियों के बैंक खाते

पहला टूलकिट 23 जनवरी को बना था. फिर दूसरा टूलकिट 31 जनवरी को बना जिसमें फरवरी के पहले हफ्ते में कुछ बड़ा करने की बात कही गई थी. पहले टूलकिट के कई कंटेंट इस दूसरे टूलकिट में भी शामिल थे और 3 फरवरी को ग्रेटा थनबर्ग ने टेलीग्राम ऐप के माध्यम से दिशा से टूलकिट हासिल किया था.

दिशा की रिहाई को लेकर देश में कई जगह प्रदर्शन कर रहे लोग (पीटीआई) दिशा की रिहाई को लेकर देश में कई जगह प्रदर्शन कर रहे लोग (पीटीआई)
तनसीम हैदर
  • नई दिल्ली,
  • 17 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 1:16 AM IST
  • 23 जनवरी को पहला टूलकिट तो दूसरा 31 को बनाया गया
  • 26 को हिंसा नाकाम होने के बाद रची गई नई साजिश
  • 3 फरवरी को ग्रेटा को टेलीग्राम ऐप से दिशा से मिला टूलकिट

टूलकिट मामले में लगातार नए खुलासे हो रहे हैं. मरीना पैटरसन ने वैश्विक अभियान शुरू करने में "महत्वपूर्ण भूमिका" निभाई थी. पहला टूलकिट 23 जनवरी को बनाया गया था जबकि दूसरा टूलकिट 31 को बना. दिशा ने ग्रेटा थनबर्ग को 3 फरवरी को यह टूलकिट दिया, जिसे उन्होंने गलती से सोशल मीडिया पर शेयर कर दिया. बाद में उन्हें इसे डिलीट करना पड़ा.  

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दूसरा टूलकिट अधिक विस्तार से था और इसमें अधिक लिंक, नाम और हैशटैग शामिल थे. इस दूसरे टूलकिट का प्रारूप मरीना पैटरसन द्वारा बनाया गया और यह तब बनाया गया था जब पहली टूलकिट के माध्यम से योजना 26 जनवरी को नाकाम हो गई थी. वे चाहते थे कि हिंसा हो और वे मान कर चल रहे थे कि 26 जनवरी को कई लोग पुलिस की कार्रवाई में मारे जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. ऐसा होता तो खालिस्तान उग्रवाद को फिर से हवा देने में मदद मिलती. 

इसके बाद अंतरराष्ट्रीय हस्तियों और कार्यकर्ताओं में जोड़ने और फरवरी के पहले हफ्ते में ट्विटर के जरिए लाकर कुछ बड़ा करने का फैसला किया गया था.

फाइनेंशियल एंगल से भी होगी जांच

टूलकिट मामले में अब जल्द ही फाइनेंशियल एंगल से भी जांच शुरू होगी. पुलिस को शक है कि किसान आंदोलन की आड़ में दंगे भड़काने के लिए विदेशों से फंडिंग की गई थी. इसी वजह से निकिता, दिशा और शांतनु समेत तमाम आरोपियों के बैंक खातों की पड़ताल की जाएगी. पिछले 1 साल का ब्यौरा खंगाला जाएगा. ये भी पता लगाया जाएगा कि किसान नेताओं से इन लोगों का संपर्क था या नहीं और अगर था तो किस हद तक.

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3 फरवरी को मिला था टूलकिट

पहला टूलकिट 23 जनवरी को बना था. फिर दूसरा टूलकिट 31 जनवरी को बना जिसमें फरवरी के पहले हफ्ते में कुछ बड़ा करने की बात कही गई थी. पहले टूलकिट के कई कंटेंट इस दूसरे टूलकिट में भी शामिल थे और 3 फरवरी को ग्रेटा थनबर्ग ने टेलीग्राम ऐप के माध्यम से दिशा से टूलकिट हासिल किया था.

मरीना पैटरसन एक एनजीओ में काम करती है जो ब्रिटेन से संचालित होती है. यह वही एनजीओ है जिसमें शांतनु और निकिता भारत में काम कर रहे हैं.

इस दूसरे टूलकिट का प्रारूप मरीना पैटरसन ने 31 जनवरी को बनाया और बाद में इसे निकिता और फिर दिशा और शांतनु के साथ साझा किया जिन्होंने मिलकर इस टूलकिट को बनाया और ग्रेटा को भेज दिया. शांतनु इस बीच 21 और 27 जनवरी को खुद किसान आंदोलन में शामिल हुआ था.

इस अभियान को कनाडा से बाहर राजनीतिक नेताओं और कार्यकर्ताओं का समर्थन हासिल था. हालांकि सूत्रों का यह भी मानना ​​है कि जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग द्वारा साझा किए गए टूलकिट को भारत में 'एक बड़ी साजिश' के रूप में 'बताया' गया था. मरीना पैटरसन, जिसने एमओ धालीवाल की पीआर फर्मों में एक रिलेशनशिप मैनेजर के रूप में काम किया था.

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दिशा और शांतनु के संपर्क में थी मरीना

मरीना पैटरसन टू किट साजिश में शामिल थी. वह निकिता, दिशा रवि और शांतनु के लगातार संपर्क में थी.

11 जनवरी को सिख फॉर जस्टिस बेंड ऑर्गेनाइजेशन ने लेटर जारी किया था कि जो कोई भी 26 जनवरी को इंडिया गेट पर फ्लैग लगाएगा उसे 250 हजार डॉलर दिया जाएगा.

एक और प्रो खालिस्तानी संगठन पोएटिक जस्टिस ने भी 11 जनवरी को ऐसा ही ऐलान किया और इसे ग्लोबल डे ऑफ एक्शन नाम दिया. एमओ धालीवाल पीजेएफ का फाउंडर है. इनका वीडियो सोशल मीडिया पर है. इसके साहित्य में लिखा है कृषि कानून को लेकर 26 को बवाल.

खातों की भी होगी जांच

इस बीच टूलकिट मामले में आर्थिक एंगल से जांच शुरू की जाएगी. पुलिस को शक है कि किसान आंदोलन की आड़ में हिंसा भड़काने के लिए विदेश से फंडिंग की गई थी. निकिता, दिशा और शांतनु समेत तमाम आरोपियों के बैंक खातों की पड़ताल होगी. पिछले 1 साल के इनके खातों की डिटेल्स को खंगाला जाएगा. साथ ही किसान नेताओं से इनके संपर्क को भी खंगाला जाएगा.

 

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