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'उदयनिधि स्टालिन को संभलकर चलना चाहिए', DMK कोषाध्यक्ष टीआर बालू ने मंच से दी सलाह

सनातन विवाद पर उदयनिधि स्टालिन को अब उनकी ही पार्टी के अंदर से भी सलाह मिलने लगी है. डीएमके कोषाध्यक्ष और पार्टी के सीनियर नेता टीआर बालू ने सलाह देते हुए कहा है कि उदयनिधि को संभलकर चलना चाहिए. उनकी बातों को तोड़-मरोड़कर पेश किया जा रहा है.

उदयनिधि स्टालिन/टीआर बालू (File Photo) उदयनिधि स्टालिन/टीआर बालू (File Photo)
प्रमोद माधव
  • चेन्नई,
  • 18 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 2:58 PM IST

सनातन धर्म को लेकर दिए गए उदयनिधि स्टालिन के बयान पर अब भी खिंचतान जारी है. अब उनकी पार्टी द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) के सीनियर नेता और कोषाध्यक्ष टीआर बालू ने ही उदयनिधि को संभलकर चलने की सलाह दी है. टीआर बालू ने उदयनिधि को सावधान करते हुए कहा कि उन्हें कुछ भी बोलने से पहले सोचना समझना चाहिए.

टीआर बालू ने यह सब बातें वेल्लोर में आयोजित किए गए एक कार्यक्रम में कहीं. इस कार्यक्रम का नाम 'मुपेरम विझा 2023' था. इसे कलैगनार करुणानिधि, पेरियार और पेरारिग्नार अन्ना की जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया था. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए टीआर बालू ने कहा कि अब उदयनिधि के लिए सावधान होने का समय है.

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पिता को छोड़कर किसी से नहीं डरते उदयनिधि

उन्होंने आगे कहा कि DMK यूथ विंग के नेता (उदयनिधि स्टालिन) से पूरा भारत डरा हुआ है कि वह आगे क्या करेंगे? टीआर बालू ने कहा कि उदयनिधि अपने पिता को छोड़कर किसी से नहीं डरते. वह यह सोचकर कुछ भी बोल रहे हैं कि बाद में सब मैनेज कर लेंगे. लेकिन मैं उन्हें सावधान करता हूं कि उन्हें याद रखते हुए सुनिश्चित करना चाहिए कि वह जिस चीज को अपने हाथ में थामकर चल रहे हैं, वह गिरकर टूट न जाए.

कोषाध्यक्ष ने दी सावधानी बरतने की चेतावनी

टीआर बालू ने कहा कि INDIA गठबंधन के नेताओं को भी तोड़-मरोड़कर खबरें पेश की गई थीं. गठबंधन के नेता तब ही शांत हुए, जब उन्हें सही खबर दिखाई गई. उन्होंने उदयनिधि को सावधानी बरतने की चेतावनी देते हुए कहा कि जल के कारण उनके बयानों को तोड़-मरोड़कर पेश किया जा रहा है. 

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क्या कहा था उदयनिधि स्टालिन ने?

दरअसल, उदयनिधि ने अपने बयान में सनातन धर्म की तुलना डेंगू और मलेरिया से की थी. उदयनिधि ने कहा था कि सनातन का सिर्फ विरोध नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि इसे समाप्त ही कर देना चाहिए. एजेंसी के मुताबिक, उदयनिधि ने सनातन उन्मूलन सम्मेलन में दिए बयान में कहा था कि 'सनातन धर्म सामाजिक न्याय और समानता के खिलाफ है. कुछ चीजों का विरोध नहीं किया जा सकता, उन्हें खत्म ही कर देना चाहिए. हम डेंगू, मच्छर, मलेरिया या कोरोना का विरोध नहीं कर सकते. हमें इसे मिटाना है. इसी तरह हमें सनातन को भी मिटाना है.'

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