
आंध्र प्रदेश के विश्व प्रसिद्ध मंदिर तिरुपति बालाजी के लड्डुओं के घी में मछली के तेल और जानवरों की चर्बी की बात से हंगामा मचा हुआ है. आंध्र प्रदेश सरकार ने दावा किया है कि जिस घी से लड्डू तैयार किए जाते हैं, उसमें मिलावट पाई गई है. ये मिलावट पिछली सरकार के दौरान दिए गए घी के ठेके के चलते हुए. इसको लेकर मंदिर समिति तिरुमला तिरुपति देवस्थानम ने कहा है कि जिस ब्लैक लिस्टेड सप्लायर के घी में मिलावट मिली है, उसे पूर्व की जगन मोहन सरकार के दौरान ठेका दिया गया था.
इन आरोपों पर केंद्र सरकार ने आंध्र प्रदेश सरकार से रिपोर्ट मांगी है और जांच के बाद कार्रवाई का भरोसा दिया है. लेकिन इस खुलासे के बाद एक तरफ देश भर में सनातनियों के बीच आक्रोश का भाव नजर आ रहा है. भोपाल जैसे कुछ शहरों में विरोध प्रदर्शन भी हुए हैं. सुप्रीम कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट तक अर्जियां दी जा रही हैं. दूसरी ओर राजनीतिक आरोप प्रत्यारोप भी जारी हैं. बीजेपी नेता ने दोषियों को फांसी की सजा देने की मांग की है. कांग्रेस ने सीएम नायड़ू पर सवाल खड़े किए हैं कि तीन महीने तक सीएम ने खुलासा क्यों नहीं किया.
इन परिस्थितियों में गलत हो सकती है जांच रिपोर्ट-
-सैंपल्स में अगर बेहद कमजोद गायों का दूध लिया गया हो
-अगर तुरंत ब्याई गाय के दूध का सैंपल लिया गया हो
-अगर गाय के दूध में दूसरे जानवरों का दूध मिला हो
-अगर ज्यादा तिल, तिलहान खिलाई गायों का दूध
-अगर गाय बीमार हो या गाय को किसी तरह के केमिकल्स दिए गए हों
जगन मोहन रेड्डी ने आरोपों को बताया निराधार
कांग्रेस ने सीबीआई जांच की मांग भी की है. तो जगन मोहन रेड्डी ने कहा है कि 100 दिन की नाकामी छुपाने के लिए चंद्रबाबू नायडू ने निराधार आरोप लगाए हैं. दरअसल, आंध्र प्रदेश में सत्ता बदलते ही 12 जून को ही तिरुपति मंदिर के प्रसाद में इस्तेमाल होने वाले घी की जांच के नमूने लिए गए थे. जांच रिपोर्ट 23 जून तक तैयार हो गई, लेकिन खुलासा सितंबर में हुआ, जब नायडू सरकार के 100 दिन पूरे हुए. जो रिपोर्ट सामने आई उसमें लड्डू बनाने वाले घी में जो चीजें पाई गई थीं, वो बताती हैं कि घी में तिलहन और वस्पतियों के अलावा मछली का तेल और जानवर की चर्बी हो सकती है. ये जांच नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड यानी एनडीडीबी के सेंटर फॉर एनालिसिस एंड लर्निंग इन लाइवस्टॉक एंड फूड यानी सीएएलएफ लैब में कराई गई थी.
रिपोर्ट में फिश ऑयल, एनिमल टैलो और लार्ड की बात
रिपोर्ट में कहा गया है कि इन लड्डुओं में जिस घी का इस्तेमाल हो रहा है, वो घी मिलावटी है और इसमें फिश ऑयल, एनिमल टैलो और लार्ड की मात्रा भी हो सकती है. एनिमल टैलो का मतलब पशु में मौजूद फैट से होता है. और इसमें लार्ड भी मिला हुआ था. लार्ड का मतलब जानवरों की चर्बी से होता है और इसी रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि इसी घी में फिश ऑयल की मात्रा भी हो सकती है. हालांकि इस रिपोर्ट में ये भी लिखा है कि कुछ परिस्थितियों के कारण गाय के घी में जानवरों की चर्बी और उनके फैट के अंश पहुंच सकते हैं और जांच में फॉल्स पॉजिटिव रिजल्ट्स आ सकते हैं.
घी सप्लाई करने वाली कंपनी की आई सफाई
कर्नाटक मिल्क फेडरेशन जो कि शुद्ध घी आपूर्ति करता रहा है, उसने सफाई दी है कि वो जुलाई के बाद से ही घी आपूर्ति कर रहा है. ऐसे में जिस सप्लायर पर अंगुली उठी है, उसका नाम एआर डेयरी प्रोडक्ट लिमिटेड है. इस कंपनी का कहना है कि वो जांच के लिए तैयार है. उसके चार ट्रक घी में कोई शिकायत नहीं थी. पांचवें ट्रक को रोका गया था. मंदिर प्रशासन ने कहा है कि अब कंपनी को ब्लैक लिस्ट करके दंडात्मक कार्रवाई शुरू की गई है.
मंदिर में घी की सप्लाई के लिए टेंडर निकाला जाता है. टीटीडी के पूर्व कार्यकारी अधिकारी का दावा है कि सबसे कम बोली लगाने वाले को ठेका दिया जाता है. हालांकि पुराने मंदिर प्रशासन के अधिकारियों का दावा है कि शुद्ध देसी घी की आपूर्ति के लिए ट्रस्ट के प्लांट में ही 550 देसी गायें भी रखी गई हैं. इतना ही नहीं मंदिर में आने वाले घी की जांच की भी व्यवस्था है. टीटीडी मैसूर के CFTRI लैब की मदद से घी का क्वालिटी चेक कराता रहा है.