
सोशल मीडिया विवाद को लेकर ट्विटर की ओर से उसके 2 प्रतिनिधि आज शुक्रवार को संसदीय समिति के सामने पेश हुए. सोशल मीडिया के गलत इस्तेमाल को किस तरह रोका जा सके, ट्विटर को इस संबंध में संसदीय समिति के सवालों का जवाब दिए.
भारतीय नागरिकों के अधिकारों की रक्षा और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के दुरुपयोग को रोकने के मुद्दे की जांच के लिए संसदीय समिति की ओर से यह बैठक बुलाई गई थी. ट्विटर की ओर से शगुफ्ता कामरान और आयुषी कपूर को संसदीय समिति के समक्ष भेजा गया है. शगुफ्ता कामरान सीनियर मैनेजर पब्लिक पॉलिसी हैं जबकि आयुषी कपूर भारत की कानूनी सलाहकार हैं और ये दोनों ही समिति के सवालों के जवाब दिए.
ट्वीटर को आज संसदीय समिति के तीखे सवालों का सामना करना पड़ा. संसदीय समिति ने पूछा कि नियम का पालन नहीं करने पर आप पर जुर्माना क्यों ना लगाया जाए.
ट्विटर का आधिकारिक बयान
इस बीच संसदीय समिति के समक्ष बैठक के बारे में ट्विटर ने कहा कि हम सूचना प्रौद्योगिकी की स्थायी समिति के समक्ष अपने विचार साझा करने के अवसर की सराहना करते हैं. ट्विटर पारदर्शिता, अभिव्यक्ति की आजादी और गोपनीयता के हमारे सिद्धांतों के अनुरूप नागरिकों के अधिकारों की ऑनलाइन सुरक्षा के महत्वपूर्ण कार्य पर समिति के साथ काम करने के लिए तैयार है. हम सार्वजनिक बातचीत की सेवा और सुरक्षा के लिए अपनी साझा प्रतिबद्धता के हिस्से के रूप में भारत सरकार के साथ काम करना जारी रखेंगे.
ट्वीटर कानूनों की अवहेलना कर रहा?
इससे पहले आईटी मामलों पर संसद की स्थायी समिति के सामने आज ट्वीटर की पेशी हुई. एक सुर से सभी सांसदों ने ट्वीटर को घेरा और कहा कि वो भारत में मध्यस्थ के तौर पर संरक्षण खो चुके हैं इसलिए यहां के कानूनों के तहत कार्रवाई के लिए तैयार रहें. पूरी समिति एकमत थी कि ट्वीटर भारत के कानूनों की अवहेलना करता आ रहा है.
लेकिन ट्वीटर ये साफ नहीं कर पाया कि वो ऐसा क्यों कर रहा है. ट्वीटर सिर्फ अपनी नीतियों के बारे में कह कर तमाम आरोपों से बचने की कोशिश करता रहा. उन्होंने ये भी कहा कि सरकार के साथ वो डायलॉग करते रहेंगे.
समिति के सदस्यों ने जब पुछा कि वो भारत में कब से काम कर रहे हैं और इतने सालों में उन्होने कोई क्पलायंस अफसर क्यों नहीं लगाया. जब भारत सरकार ने अपने दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं, तब भी ट्वीटर ने भारत में अपने कंप्लायंस अफसर क्यों नहीं नियुक्त किए. भारत में उन पर जुर्माना क्यों नहीं लगाया जाए. समिति ने साफ कर दिया कि ट्वीटर अपना संरक्षण खो चुका है.
क्या ट्विटर पब्लिशर है?
सूत्रों ने बताया कि ट्वीटर समिति के किसी भी सवाल का कोई सीधा जवाब नहीं दे रहा था. उनके पास कई सवालों के जवाब तक नहीं थे.
ट्विटर ने बताया कि वो सही ट्वीट को बढ़ाते हैं और खराब ट्वीट्स को रोकते हैं तो समिति ने आरोप लगाया कि अगर वे प्रमोट और डिमोट कर रहे है तो वे पब्लिशर ही हैं, जिसका ट्वीटर के पास कोई जवाब नहीं था.
पॉलिसी की दुहाई देता रहा ट्विटर
संसदीय समिति ने आरोप लगाया कि ट्वीटर कैपिटल हिल पर हुए हंगामें को अभिव्यक्ति की आजादी के खिलाफ मानता है और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अकाउंट ब्लॉक कर देता है, तो फिर भारत सरकार के कहने के बावजुद 26 जनवरी को हुए हंगामे पर उन्होंने ऐसे कदम क्यों नहीं उठाए. समिति ने कहा कि कांग्रेस के टूलकिट का मामला हो या फिर गाजियाबाद का मामला, ट्वीटर ने क्यों नहीं कारवाई की. लेकिन ट्वीटर के पास इसका कोई पुख्ता जवाब नहीं था.
समिति ने ट्वीटर पर पॉक्सो के उल्लंघन का भी आरोप लगाया. सदस्यों ने बताया कि अमेरिका में भी उन्होने चाइल्ड पोर्नोग्राफी को नहीं हटाया था. अगर वो ऐसी विजुल्स अमेरिका की एजेंसी से शेयर कर सकते हैं तो फिर वो ऐसी चीजें भारत की एजेंसियों को क्यों नहीं देते. ट्वीटर के पास इसका भी कोई जवाब नहीं था. सूत्रो ने बताया कि पूरे वक्त ट्वीटर अपनी पॉलिसी की दुहाई दे कर सवालों मे फंसने से बचने मे लगा रहा.
संसदीय समिति ने बुलाया था
कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अगुवाई वाली सूचना प्रौद्योगिकी की स्थायी समिति ने बैठक के लिए ट्विटर इंडिया के प्रतिनिधियों और केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधिकारियों को बुलाया था.
ट्विटर अधिकारियों को संसदीय समिति के समक्ष ऐसे समय में बुलाया गया है जब सोशल मीडिया दिग्गज कंपनी नए आईटी नियमों और उनका पालन करने में विफलता को लेकर केंद्र सरकार के साथ विवादों में है.
लोनी विवाद पर नोटिस
इस हफ्ते की शुरुआत में, ट्विटर इंडिया के प्रबंध निदेशक (MD) मनीष माहेश्वरी को उत्तर प्रदेश की गाजियाबाद पुलिस की ओर से नोटिस भेजा गया गया है. पुलिस की ओर से कहा गया है कि मनीष एक हफ्ते में लोनी पुलिस स्टेशन आएं और इस मामले में अपना बयान दर्ज करवाएं. पुलिस द्वारा मनीष को 160 CRPC के तहत ये नोटिस भेजा गया है.
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इसके अलावा गाजियाबाद के लोनी में मारपीट के एक विवाद में पुलिस ने पहले ही ट्विटर पर केस दर्ज कर लिया और उस पर गलत जानकारी फैलाने का आरोप लगाया गया.
देश में नए आईटी कानूनों को लेकर केंद्र सरकार और ट्विटर के बीच तकरार लंबे वक्त से जारी है. ट्विटर नए कानूनों को मानने में आनाकानी कर रहा है, जबकि केंद्र की ओर से उस पर लगातार दबाव बनाया जा रहा है. हालांकि ट्विटर की ओर से भारत में अपना एक नोडल अधिकारी बैठाने की बात कही गई है लेकिन केंद्र का कहना है कि अभी तक उन्हें इसके बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं दी गई है.