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भारतीय जनता पार्टी अपने जनसंघ के दिनों से देश में समान नागरिकता क़ानून यानि यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड लाने की वकालत करती रही है. हालाँकि इतने साल तक केंद्र और अलग जल्द सूबे की सत्ता में रहने के बाद उत्तराखंड की बीजेपी सरकार यहाँ यूसीसी से जुड़ा क़ानून लाने की तैयारी कर रही है. राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 'जय श्री राम' और 'वंदे मातरम' के नारों के बीच विधानसभा में आज समान नागरिक संहिता उत्तराखंड 2024 विधेयक पेश किया.
विधानसभा से पास होने और राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद ये विधेयक कानून की शक्ल ले लेगा और ऐसा क़ानून लागू करने वाला उत्तराखंड आज़ाद भारत का पहला राज्य बन सकता है. हालाँकि, एसेम्ब्ली में बिल टेबल होने पर राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने इसका विरोध किया और कहा कि उन्हें बिल की अधूरी कॉपी दी गई, ताकी कोई चर्चा न हो. कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि बीजेपी चुनाव से ठीक पहले ऐसे मुद्दे उठा कर असल बहस से जनता को दूर रखना चाहती है, पूरी ख़बर सुनिए 'दिन भर' में,
पेपर लीक बिल से क्या बदलेगा?
हाल ही में राजस्थान में सरकार बदली, वैसे तो वहां हर चुनाव में सरकार बदलने की एक प्रथा सी बन चुकी है, लेकिन इस बार कांग्रेस की सरकार जाने के कारण तलाशे जाते हैं, तो पॉलिटिकल पंडित एक कारण पेपर लीक भी गिनाते हैं. वहां पांच साल में 7 परीक्षाओं के पेपर लीक हुए, लेकिन राजस्थान ऐसा अकेला राज्य नहीं है. इसी दौरान मध्यप्रदेश में 5, तेलंगाना में 5, उत्तराखंड में 4, बिहार में 3 नौकरी से जुड़े एग्जाम्स के पेपर लीक हुए हैं. ये एक गंभीर मसला है, इससे पूरे देश में लगभग डेढ़ करोड़ छात्रों सीधे तौर पर प्रभावित हुए हैं. इसी वजह से कल केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में लोक परीक्षा (अनुचित साधनों का निवारण) विधेयक, 2024 पेश किया, इसमें पेपर लीक करने वाले दोषियों को कम से कम तीन साल जेल की सजा और 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना का प्रावधान है. आज ये बिल लोकसभा में पास हो गया है. अब असम की सरकार भी एक ऐसी ही बिल लेकर आई है, कुछ राज्यों में ये क़ानून पहले से लागू भी है, केंद्र सरकार की विधेयक की मुख्य बातें क्या हैं, सुनिए 'दिन भर' में
महाराष्ट्र में 'लेफ़्ट-राइट' एक साथ
राजनीति में कब कौन पाला बदल ले, ये तो कई बार पाला बदलने वाला भी नहीं समझ पाता. देश में बेमेल पार्टियों का गठबंधन पहले भी होता रहा है. वीपी सिंह की सरकार भी ऐसी ही एक सरकार थी. जिसमें बेमेल पार्टियां एक साथ थीं. आजकल ऐसा ही एक और गठबंधन चर्चा में है. महाराष्ट्र की महा विकास अघाड़ी के बैनर तले के नीचे लेफ्ट और राइट दोनों एक हो गए हैं. सीपीआई, सीपीआईएम, समाजवादी पार्टी समेत कई कम्युनिस्ट और सोशलिस्ट पार्टियों ने महा विकास अघाड़ी के साथ आने का फैसला किया है.
महाराष्ट्र में शिवसेना और लेफ्ट की पार्टियों के बीच अदावत बहुत पुरानी है. 1970 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी यानी सीपीआई के विधायक और पार्टी के कद्दावर नेता कृष्णा देसाई की हत्या के बाद शिव सेना और कम्युनिस्टों के बीच लड़ाई बढ़ गई थी. जिसका असर ये हुआ कि दोनों तरफ के समर्थक और नेता एक दूसरे को फूटी आंख नहीं सुहाते थे. ऐसे में लेफ्ट का महा विकास अघाड़ी ज्वॉइन करना कई सवाल खड़े करता है, सुनिए 'दिन भर' में,
हरदा की आग!
आज दोपहर क़रीब 12 बजे मध्य प्रदेश के हरदा ज़िले से एक हादसे की ख़बर आई. भोपाल से 150 किलोमीटर दूर हरदा ज़िले के बैरागढ़ गांव में मौजूद एक पटाखा फैक्ट्री में आग लग गई. फैक्ट्री और उसके आसपास कई बार धमाके हुए और अबतक हादसे की वजह से कम से कम 11 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है. 100 से अधिक लोग घायल हुए हैं. कई लोगों का अस्पतालों में इलाज चल रहा है. CM मोहन यादव ने मृतकों के परिवार को 4-4 लाख रुपये का मुआवज़ा देने और घायलों के इलाज का खर्च उठाने की बात कही है, सुनिए 'दिन भर' में.