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डॉक्टर बनने के लिए यूक्रेन क्यों जाते हैं भारतीय छात्र, कितना आता है खर्च? जानें सबकुछ

भारत से हर साल हजारों छात्र आंखों में डॉक्टर बनने का सपना लेकर यूक्रेन जाते हैं. यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई भारत के प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों के तुलना में काफी सस्ती है.

हर साल हजारों छात्र मेडिकल की पढ़ाई के लिए जाते हैं यूक्रेन हर साल हजारों छात्र मेडिकल की पढ़ाई के लिए जाते हैं यूक्रेन
आशुतोष मिश्रा
  • बुडापेस्ट,
  • 02 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 9:24 AM IST
  • MBBS की पढ़ाई पर 25 से 30 लाख होता है खर्च
  • भारत के प्राइवेट कॉलेजों में एमबीबीएस की फीस 1 करोड़ तक

यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद बड़ी संख्या में पलायन हो रहा है. यूक्रेन के नागरिक तो देश छोड़ ही रहे हैं, अन्य देशों के जो नागरिक यूक्रेन में फंसे हैं वे भी जल्द से जल्द युद्धग्रस्त देश से निकल जाना चाहते हैं. इनमें बड़ी तादाद भारतीयों की भी है. भारत के लगभग 20 हजार छात्र यूक्रेन में रहते और पढ़ते हैं. यूक्रेन से भारतीय छात्रों को सुरक्षित बाहर निकालना अपने आप में बड़ी चुनौती बन गया है. यूक्रेन से यूरोप की सीमा में प्रवेश करने वाले भारतीयों को अब ऑपरेशन गंगा के तहत स्वदेश वापस भेजा जा रहा है.

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भारतीय छात्र यूक्रेन के अलग-अलग प्रांतों में मेडिकल की पढ़ाई करने जाते हैं. आखिर इतनी बड़ी संख्या में भारत के छात्रों ने डॉक्टर बनने के लिए यूक्रेन को ही क्यों चुना? जवाब ढूंढने के लिए हमने यूक्रेन से किसी तरह बचकर हंगरी के बुडापेस्ट पहुंचे मेडिकल के छात्रों से बातचीत की. अधिकतर छात्रों ने बताया कि भारत के प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों से पढ़ाई करने पर हर साल 15 से 20 लाख रुपये का खर्च आता है लेकिन यूक्रेन में ये पढ़ाई अपने देश के मुकाबले बेहद सस्ती है.

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गुजरात के सूरत की रहने वाली महनूर यूक्रेन के Vinnytsia के VNMU यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस द्वितीय वर्ष की पढ़ाई कर रही हैं. महनूर दो साल पहले यूक्रेन पढ़ने आई थीं. महनूर ने बताया कि यूक्रेन में एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए सालाना 6000 से 7000 डॉलर का खर्च आता है यानी सालाना यूनिवर्सिटी की ट्यूशन फीस लगभग 5000 डॉलर है. इसके अलावा हॉस्टल में रहने के लिए लगभग 1000 डॉलर प्रति वर्ष का खर्च आता है. खाने-पीने के साथ ही अन्य खर्चे भी तकरीबन 1200 डॉलर प्रति वर्ष आते हैं.

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25 से 30 लाख रुपये आता है एमबीबीएस की पढ़ाई पर खर्च

इस तरह हम देखें तो यूक्रेन में पांच साल के एमबीबीएस की पढ़ाई पर कुल मिलाकर 25 से 30 लाख रुपये का खर्च आता है. हालांकि, यूक्रेन में एमबीबीएस में एडमिशन इतना आसान भी नहीं. भारत के अलग-अलग राज्यों में रहने वाले छात्र स्थानीय एजेंटों को डेढ़ से तीन लाख रुपये तक देते हैं तब जाकर उन्हें यूक्रेन की यूनिवर्सिटी या मेडिकल कॉलेज में दाखिला मिल पाता है. हालांकि, एजेंट को दी गई इस रकम में उसकी कमीशन के साथ ही भारत से यूक्रेन की फ्लाइट के टिकट और वीजा का खर्च, टेंपरेरी रेसिडेंस कार्ड यानी टीआरसी का शुल्क भी शामिल है.

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राजस्थान के रहने वाले हिमांशु एमबीबीएस तीसरे साल के छात्र हैं. हिमांशु 2019 में यूक्रेन आ गए थे. हिमांशु ने बताया कि 5 साल का पूरा खर्च उन्हें 25 लाख रुपये तक पड़ेगा जिसमें वे डॉक्टर बन सकेंगे जो उनका बचपन का सपना था. हिमांशु के पिता राजस्थान में सरकारी स्कूल में अध्यापक हैं और बड़ी मुश्किल से उन्होंने पाई-पाई जोड़कर हिमांशु को डॉक्टर बनने के लिए यूक्रेन भेजा. हिमांशु बताते हैं कि 2019 में भारत के मेडिकल कॉलेजों में कुल 28000 सीटें थीं और लगभग 15 लाख बच्चों ने परीक्षा दी थी.

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प्राइवेट कॉलेजों की तुलना में आधे से भी कम है फीस

उन्होंने कहा कि सरकारी कॉलेजों में दाखिला मिलना मुश्किल था. निजी कॉलेजों में पढ़ाई मुश्किल थी. निजी कॉलेजों का खर्च मेरा परिवार वहन नहीं कर पाता. हिमांशु ने आगे कहा कि उन्होंने एजेंट के जरिये यूक्रेन जाने के लिए अपने पिता को जानकारी दी और तब वे पढ़ाई करने जा सके. तस्वीर साफ है. भारत के प्राइवेट मेडिकल कॉलेज से अगर कोई यही कोर्स करें तो उसे पांच साल के लिए 90 लाख से लेकर एक करोड़ रुपये तक खर्च करने होंगे जो किसी भी मध्यमवर्गीय परिवार के लिए संभव नहीं है.

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भारत के हजारों छात्रों को यूक्रेन ये मौका देता है कि वे डॉक्टर बनने का अपना सपना पूरा कर सकें और वह भी यहां की तुलना में आधे से भी कम खर्च में. यूक्रेन में सिर्फ भारत ही नहीं, दुनिया के कई दूसरे देशों के छात्र भी डॉक्टर बनने का सपना लेकर जाते हैं. नाइजीरिया, घाना या थाईलैंड, दुनिया के कई देशों के लोग जो अपने बच्चों को वहां डॉक्टर बनाने के लिए मोटी फीस नहीं दे पाते वे उन्हें यूक्रेन भेजते हैं जिससे उनका सपना पूरा हो सके.

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