
Ukraine Russia Crisis: यूक्रेन संकट अब कयासों और आशंकाओं से काफी आगे बढ़ गया है. इसके दो राज्यों को अलग देश की मान्यता देने के बाद रूस ने विद्रोहियों को खुले तौर पर फौजी मदद देने का भी ऐलान कर दिया है. अगर रूसी फौजों की हलचल यूक्रेन की सीमा में तेज होती है तो इसका सीधा मतलब होगा, जंग का आगाज.
फिलहाल अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, ऑस्ट्रेलिया ने रूस पर कई प्रतिबंध लगा दिए हैं. अब दुनिया की नजर भारत पर भी है. रूस और अमेरिका के बीच यूक्रेन के बहाने छिड़ी इस नई तनातनी में भारत पहले ही साफ कर चुका है कि उसकी दिलचस्पी सिर्फ अपने लोगों की सुरक्षा को लेकर है. कल भी संयुक्त राष्ट्र की बैठक में भारत ने अपना यही संकल्प दोहराया कि यूक्रेन में आम लोगों की जिंदगी महत्वपूर्ण है और भारत की खास चिंता अपने नागरिकों की बेहतरी के लिए है. लेकिन भारत क्या किसी भी स्थिति में रूस के खिलाफ खड़ा होगा?
रूस-यूक्रेन मसले पर क्या है भारत का रुख
भारत ने अबतक यही रुख अपनाया है कि उसको विवाद में पड़ना नहीं है. क्या यह तरीका सही है? इसपर MEA के पूर्व सचिव केसी सिंह ने आजतक से कहा कि फिलहाल यह रुख सही है क्योंकि भारत रूस के साथ अपने संबंध सही रखना चाहता है. लेकिन इसमें भी एक लाइन ऐसी है जिसे रूस ने पार किया तो भारत को आवाज उठानी होगी.
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केसी सिंह ने कहा कि अगर नॉर्थ में बेलारूस की तरफ से रूसी सेना यूक्रेन में घुसती है तो भारत का शांत रहना मुश्किल होगा. क्योंकि भारत UNSC का अस्थाई सदस्य है. भारत इसका स्थाई सदस्य बनना चाहता है लेकिन इस स्थिति में दूसरे देश भारत से पूछेंगे कि अगर आप गलत होने पर कुछ नहीं बोलते तो क्या ही फायदा.
MEA के पूर्व सचिव केसी सिंह ने कहा कि अबतक देखें तो रूस की सैनिक उसी इलाके में गए हैं जहां इनका पहले से एक तरह से कंट्रोल था. सिंह ने कहा कि शुरुआत में सैनिक नहीं भेजे गए थे, वे आम लोग थे जो सेना के लिए काम करते थे. इसमें रिटायर फैजी भी शामिल थे.
रूस के खिलाफ एकजुट हुए जर्मनी, फ्रांस और इटली
आजतक से बातचीत में रक्षा विशेषयज्ञ, रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन ने कहा कि अब का जमाना पहले जैसा नहीं है. पहले रूस ने हंगरी, चेकोस्लोवाकिया देश पर इसी तरह आक्रमण किया था लेकिन किसी ने कुछ नहीं कहा था. उन्होंने अमेरिका के ईराक में फेल होने का उदाहरण देते हुए कहा कि अगर मिलिट्री के दम पर रूस 5-7 दिन में यूक्रेन को जीतने की कोशिश करेगा तो ऐसा नहीं होने वाला है. वह बोले कि अब लड़ाई हाइब्रिड होती हैं.
वह बोले कि जर्मनी, फ्रांस, इटली सब एकजुट हो चुके हैं और रूस को बड़ा मेसेज दिया गया है कि 11 बिलियन डॉलर की जो गैस पाइपलाइन बननी है उसके लिए अब जर्मनी राजी नहीं होगा. अता हसनैन ने कहा कि ऐसे नॉन मिलिट्री तरीकों से, लोगों के एकसाथ जुटने से रूस को संदेश दिया जाएगा.