
करीब चार साल से जेल में बंद उमर खालिद को एक बार फिर दिल्ली की अदालत से राहत नहीं मिली है. कड़कड़डूमा कोर्ट ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया है. उन पर दिल्ली सांप्रदायिक दंगा मामले में बड़ी साजिशें रचने का आरोप है और सितंबर 2020 से जेल में हैं.
उमर खालिद ने अपनी जमानत के लिए एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी, लेकिन बाद में अपनी याचिका वापस ले ली थी. इसके बाद वह जमानत के लिए कड़कड़डूमा कोर्ट पहुंचे थे, जहां अदालत ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया. ट्रायल कोर्ट में जमानत याचिका देरी और अन्य आरोपी के साथ समानता के आधार पर दायर की गई थी.
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उमर खालिद पर यूएपीए के तहत चल रहा केस
पूर्व जेएनयू छात्र उमर खालिद पर कड़े गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया गया था. एडिश्नल सेशन जज समीर बाजपेयी ने उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद 13 मई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और आज आदेश जारी किया है.
दिल्ली पुलिस की चार्जशीट का दिया हवाला
उमर खालिद के वकील ने ट्रायल कोर्ट में तर्क दिया कि दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में उनके खिलाफ कोई आतंक संबंधी आरोप नहीं लगाए गए थे. उन्होंने तर्क दिया कि दस्तावेज में उनका नाम सिर्फ बार-बार दोहराया गया था और इस बात पर जोर दिया कि नाम को दोहराने से झूठ सच में नहीं बदल जाता.
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दिल्ली में विरोध-प्रदर्शन के बाद हुआ था दंगा
दिल्ली पुलिस ने उमर खालिद पर 2020 में 23 स्थानों पर विरोध-प्रदर्शन आयोजित करने का आरोप लगाया था, जिसकी वजह से बाद में राजधानी में दंगे भड़के. हालांकि, उमर खालिद कोर्ट में इस बात से इनकार करते हैं कि दंगा भड़काने में उनका हाथ था. उन्होंने कहा कि उन्हें गलत तरीके से निशाना बनाया गया है और मामले में झूठ तरीके से फंसाया गया है.