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क्या यूनिफॉर्म सिविल कोड पर आगे बढ़ी बात? राज्यसभा में कानून मंत्री ने दिया ये जवाब

केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने राज्यसभा में कहा कि समान नागरिक संहिता पर अभी कोई कमेटी नहीं गठित की गई है लेकिन विधि आयोग से कहा गया है कि इस मुद्दे पर जरूरी विषयों का अध्ययन किया जाए और सरकार को सिफारिश दी जाए.

कानून मंत्री किरेन रिजिजू (फाइल फोटो-पीटीआई) कानून मंत्री किरेन रिजिजू (फाइल फोटो-पीटीआई)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 28 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 7:47 PM IST
  • राज्य सरकारें भी समान नागरिक संहिता पर बना सकती है कानून
  • 'विधि आयोग UCC से जुड़े मुद्दों की जांच कर सिफारिश करे'

केंद्र सरकार ने संसद में बयान दिया है कि समान नागरिक संहिता (Uniform civil code) लागू करने के लिए फिलहाल कमेटी बनाने की कोई योजना नहीं है. हालांकि सरकार ने कहा है कि उसने लॉ कमीशन से कहा है कि इस विषय से जुड़े अलग अलग मुद्दों पर विचार करे और जरूरी सिफारिश करे. 

केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने गुरुवार को एक सवाल के जवाब में राज्यसभा में ये बातें कही. किरण रिजिजू ने अपने लिखित जवाब में कहा, "सरकार ने भारत के विधि आयोग से समान नागरिक संहिता से संबंधित विभिन्न मुद्दों की जांच करने और उस पर सिफारिश करने का अनुरोध किया है." 

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22 जुलाई को किरेन रिजिजू ने लोकसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए कहा था कि समान नागरिक संहिता लागू करने पर अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है क्योंकि ये मामला न्यायालय में विचाराधीन है. 

तब केंद्रीय मंत्री ने कहा था कि विधायिका का हस्तक्षेप ये सुनिश्चित करता है कि सभी कानून लिंग और धर्म के पैमाने पर तटस्थ रहे. संविधान के अनुच्छेद 44 में यह प्रावधान है कि स्टेट भारत के पूरे क्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता को लागू करने का प्रयास करेगा. 

किरेन रिजिजू ने निचले सदन में कहा था कि व्यक्तिगत कानून, जैसे कि वसीयतनामा और उत्तराधिकार, वसीयत, संयुक्त परिवार, बंटवारा, विवाह और तलाक, संविधान की सातवीं अनुसूची में समवर्ती सूची की प्रविष्टि 5 से संबंधित हैं. उन्होंने कहा था कि इसलिए राज्य सरकारें भी इस पर कानून बना सकती है. 

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बता दें कि 21वें विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता से संबंधित विभिन्न मुद्दों की जांच की थी और व्यापक चर्चा के लिए अपनी वेबसाइट पर 'परिवार कानून का सुधार' नाम से एक परामर्श पत्र अपलोड किया था. 

यहां ये बताना जरूरी है कि समान नागरिक संहिता 2014 और 2019 में बीजेपी का चुनावी वादा रहा है. 

 

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