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'मैंने अकेले चुनाव लड़ने की हिम्मत दिखाई', जानें क्यों बोले केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान

चिराग ने कहा कि मेरे पिता अलग थे. उन्होंने बिहार में काफी फोकस करते हुए केंद्र की राजनीति में काम किया. वो दौर अलग था. उस वक्त की नीतियां, राजनीतियां अलग थीं. आज की तारीख का अगर आप जिक्र करें तो मैं अपने आप को सिमित करके नहीं रखना चाहता. मैं अपनी पार्टी के विस्तार की सोच रखता हूं. आने वाले टाइम में झारखंड में चुनाव है. मेरी पार्टी के लोग वहां लगे हैं.

केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान (फोटो- चंद्रकांत कुमार) केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान (फोटो- चंद्रकांत कुमार)
aajtak.in
  • मुंबई,
  • 25 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 8:19 PM IST

एलजेपी (रामविलास) प्रमुख और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने मुंबई में हो रहे इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में कई सवालों के जवाब दिए. इस दौरान उन्होंने ये भी कहा कि उन्होंने बिहार में अकेले चुनाव लड़ने की हिम्मत दिखाई, जो कोई और नहीं कर सका. इसके अलावा उन्होंने कहा प्रधानमंत्री का हनुमान वाले बयान पर कहा कि ये मेरा प्रधानमंत्री से व्यक्तिगत रिश्ता है. इसका राजनीति से कोई लेना देना नहीं है.

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लोकसभा में गठबंधन में 100 प्रतिशत स्ट्राइक रेट रहा. लेकिन 2020 के बिहार चुनाव में सिर्फ एक सीट मिली. तो क्या आपको बैसाखी की जरूरत है? इस पर चिराग ने कहा कि जब आप गठबंधन में होते हैं इसलिए होते हैं ताकि हर किसी का साथ आपको मिलकर आपको ताकतवर बनाता है. बिहार जैसे राज्य में आप इतिहास उठाकर देख लीजिए चिराग पासवान के अलावा किस पार्टी में इतनी हिम्मत थी कि वो अकेले चुनाव लड़कर दिखाए. हम से हम मैंने अकेले चुनाव लड़ने की हिम्मत दिखाई. और न सिर्फ न मैंने चुनाव लड़ा, एक सीट जीती और 20 सीटों पर दूसरे स्थान पर रहे. हमने वोट काटे नहीं. वोट कंसोलिडेट किए. मैंने 6 प्रतिशत वोट कंसोलिडेट किए वो भी तब जब मैंने बीजेपी के सामने चुनाव नहीं लड़ा था. अगर वहां लड़ता तो 12 से 13 वोट प्रतिशत कंसोलिडेट करता. 

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खुद को सीएम फेस देखते हैं? इस पर उन्होंने कहा कि ये सवाल ही नहीं है अभी. इसके कोई मायने नहीं है. मैंने तमाम घटक दलों ने एनडीए में स्पष्ट रूप से कह दिया है कि मौजूदा मुख्यमंत्री के नेतृत्व में ही अगला चुनाव लड़ा जाएगा. मुझे नहीं पता कौन बोल रहा है अगला चुनाव तेजस्वी बनाम चिराग पासवान है. नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव होगा. इसमें कोई शक नहीं है. मैं बिल्कुल मानता हूं वो गठबंधन का हिस्सा होंगे. वो मजबूत अंग हैं हमारे गठबंधन का. उन्होंने कुछ ऐसे फैसले लिए. लेकिन उनके सभी फैसले उनके हित में सही साबित हुए.

बिहार में ही सिमित रह गई चिराग की पार्टी?

इस पर चिराग ने कहा कि मेरे पिता अलग थे. उन्होंने बिहार में काफी फोकस करते हुए केंद्र की राजनीति में काम किया. वो दौर अलग था. उस वक्त की नीतियां, राजनीतियां अलग थीं. आज की तारीख का अगर आप जिक्र करें तो मैं अपने आप को सिमित करके नहीं रखना चाहता. मैं अपनी पार्टी के विस्तार की सोच रखता हूं. आने वाले टाइम में झारखंड में चुनाव है. मेरी पार्टी के लोग वहां लगे हैं. उदाहरण दूंगा, नागालैंड. वहां मेरी पार्टी मजबूत रही. वहां पार्टी ने चुनाव लड़ा. वहां दो विधायक हैं हमारे. एनडीए का समर्थन करते हैं. वहां पार्षद हैं हमारे. आने वाले दिनों में पंजाब हो झारखंड हो, ये कई राज्य हैं जहां अपनी पार्टी के विस्तार को ध्यान में रखता हूं.

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दलित मेरी प्राथमिकता: चिराग

उन्होंने कहा कि दो-तीन साल पहले का देखें तो सभी चीजें मुझसे ले ली गई थी. मुझे मेरी पार्टी से बाहर निकालकर फेंक दिया गया था. मेरे पास कुछ नहीं बचा था. वहां से मुझे शुरुआत करनी पड़ी. वहां से मुझे नई शुरुआत करनी पड़ी नई पार्टी और नए सिंबल के साथ. मुझे खुशी है इस बात की कि देश में लोकसभा चुनाव में हमारा 100 प्रतिशत स्ट्राइक रेट रहा. 5 सीटें मिलीं, पांचों को जीता. दलित मेरी प्राथमिकता हमेशा रहेंगे क्योंकि मैं उन्हीं में से हूं. आज 21वीं सदी में पहुंचने के बावजूद गांवों में जाति के आधार पर भेदभाव होता है. तो मेरी प्राथमिकता ये लोग हैं. देश में जाति के आधार पर उनके साथ कहीं भी भेदभाव हो रहा है तो मैं और मेरी पार्टी उनके लिए हमेशा खड़ी रहेगी. लेकिन देश के युवाओं और महिलाओं के मुद्दे भी मेरे लिए बहुत मायने रखते हैं. मेरे लिए जाति से उठकर जमात की बात भी है. उनकी सोच को लेकर आगे बढ़ने का प्रयास मैं कर रहा हूं.

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