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UP उपचुनावः 10 सीटों पर संग्राम ने बढ़ाई हलचल, विपक्ष के लिए आसान नहीं सीटों का बंटवारा

यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने आजतक को बताया 'उपचुनाव में 10 की 10 सीटें जीतेंगे, डंके की चोट पर. मिलकर सपा और कांग्रेस चुनाव लड़ रहे हैं. पूरा का पूरा पक्ष में माहौल है. आम जनता इनके दिखावे के साथ ऊब चुकी है. बीजेपी के सीट शेयरिंग में बात न बनने के दावे पर बोले यह लोग हमारे तालमेल के लिए क्यों परेशान है.

राहुल गांधी और अखिलेश यादव (फाइल फोटो) राहुल गांधी और अखिलेश यादव (फाइल फोटो)
समर्थ श्रीवास्तव
  • नई दिल्ली,
  • 08 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 8:52 PM IST

लखनऊ: लोकसभा चुनाव में अच्छे प्रदर्शन के बाद अब इंडिया गठबंधन हर चुनाव में एक साथ जाना चाहता है, कम से कम यूपी में यह फॉर्मूला सबसे सटीक साबित हुआ है. यूपी में जल्दी ही विधानसभा की 10 रिक्त सीटों पर उपचुनाव होने हैं. इनमें से एक सीट सीसामऊ (कानपुर) सपा विधायक इरफान सोलंकी को सजा होने से रिक्त हुई है, जबकि नौ विधानसभा सदस्य अब लोकसभा सांसद बन चुके हैं.

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कई विधायक बने सांसद, प्रदेश में सीटें खाली
सपा के चार विधायकों अखिलेश यादव, अवधेश प्रसाद, लालजी वर्मा और जियाउर रहमान बर्क की सीटें उनके लोकसभा सदस्य चुने जाने के बाद रिक्त हो गई हैं. अखिलेश यादव वर्ष 2022 का विधानसभा चुनाव करहल, अवधेश प्रसाद मिल्कीपुर, लालजी वर्मा कटेहरी और जियाउर रहमान कुंदरकी से जीते थे. खैर से भाजपा विधायक अनूप प्रधान वाल्मीकि, गाजियाबाद से अतुल गर्ग और फूलपुर से भाजपा विधायक प्रवीण पटेल के भी लोकसभा सदस्य चुने जाने से अब यह स्थान खाली हो गए हैं.जबकि, मझवा (मिर्जापुर) से निषाद पार्टी के विधायक विनोद कुमार बिंद और मीरापुर से रालोद के विधायक चंदन चौहान भी अब सांसद हो गए हैं.

क्या सपा और कांग्रेस का होगा गठबंधन?
हालांकि, यह मामला जितना आसान विपक्ष के लिए दिखता है उतना है नहीं. सपा सूत्रों के मुताबिक, पार्टी कांग्रेस को अधिकतम दो सीटें देने के मूड में है, जिनमें गाजियाबाद और मिर्जापुर की सबसे अधिक चर्चा है. जबकि, कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, पार्टी सपा से कम से कम 5 सीटें चाहती है, इस मत के साथ कि जितनी वह पहले जीते थे उतने पर खुद लड़े, जहां हार गए थे वहां कांग्रेस को लड़ने दें. हालांकि, दोनों दलों में से कोई भी नेता यह बातें अभी सामने बोलने को तैयार नहीं है. इसके अलावा सपा कांग्रेस से महाराष्ट्र और हरियाणा में भी भागीदारी चाहती है.

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किस पार्टी का कहां, कैसा है समीकरण
बता दें कि, महाराष्ट्र में वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में सपा के दो विधायक जीते थे. इससे पहले भी सपा वहां चुनाव जीतती रही है. इसी आधार पर सपा ने महाराष्ट्र में दावा करने का फैसला किया है. तो वहीं, हरियाणा की 20 सीटों पर मुस्लिम-यादव समीकरण प्रभावी है, जिसे सपा अपने पक्ष में मानती है. हालांकि, सपा प्रवक्ता फखरूल हसन चांद का इस बारे में कहना है कि यूपी में सपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन है, लेकिन उपचुनाव में सीटों के मामले में कोई भी निर्णय समय आने पर सपा नेतृत्व ही लेगा.

चांद कहते हैं अयोध्या से अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद का लड़ना तय है और उन्हें वहां तैयारी करने को बोल दिया गया है. सूत्रों के मुताबिक, करहल से तेज प्रताप यादव, अंबेडकरनगर से लालजी वर्मा की बेटी छाया वर्मा, हाजी रिजवान कुंदरकी, कादिर राणा मीरापुर के नाम चर्चा में हैं. जबकि, इरफान सोलंकी के परिवार में किसी को कानपुर से टिकट मिल सकता है. हालांकि, सपा ने अभी किन्ही नामों का आधिकारिक ऐलान नहीं किया और पार्टी अंत में नाम बदलने के लोक सभा चुनाव वाले फॉर्मूला पर एक बार फिर भरोसा कर सकती है.

बीजेपी कस रही विपक्ष पर तंज
हालांकि, इस पूरे मामले पर बीजेपी विपक्ष पर तंज कस रही है. बीजेपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने आजतक को बताया गठबंधन को लेकर समाजवादी पार्टी का इतिहास बहुत अच्छा नहीं रहा है, सपा का गठबंधन जन राजनीतिक दलों के साथ चुनाव के पहले होता है, वह चुनाव के बाद टूट जाता है. तनातनी की खबरें आ रही हैं, क्योंकि सपा भी महाराष्ट्र और हरियाणा में सीटों की डिमांड कर रही है.

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इस उपचुनाव में तय हो जाएगा कि यह गठबंधन कितना आगे चलेगा. उन्होंने कहा भाजपा अपने गठबंधन के साथ पूरी तरह से तैयार है. इन सीटों पर जब भी चुनाव की घोषणा होगी. सभी सीटों पर बीजेपी का कमल खिले और पार्टी जीत कर आए इसके लिए पार्टी संगठन ने हर प्रकार की रणनीति बनाना शुरू कर दिया है. पार्टी की बैठक हो रही है और मुख्यमंत्री योगी खुद प्रभारी मंत्रियों को तैनात कर विकास कार्यों का जायजा ले रहे हैं, ताकि हर स्थिति में बीजेपी का कमल का फूल खिले.

सीट शेयरिंग आसान नहीं होने वाली
यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने आजतक को बताया 'उपचुनाव में 10 की 10 सीटें जीतेंगे, डंके की चोट पर. मिलकर सपा और कांग्रेस चुनाव लड़ रहे हैं. पूरा का पूरा पक्ष में माहौल है. आम जनता इनके दिखावे के साथ ऊब चुकी है. बीजेपी के सीट शेयरिंग में बात न बनने के दावे पर बोले यह लोग हमारे तालमेल के लिए क्यों परेशान है. वह अपना तालमेल बिठा नहीं पा रहे. न अब योगी जी का अमित शाह जी के साथ तालमेल मिल रहा है और न योगी जी का केशव मौर्य के साथ तालमेल दिख रहा है.

अपने में ही लड़े जा रहे हैं. रोज पंचायत हो रही है. संघ पंचायत करता है, कभी दिल्ली दरबार में किया जाता है.अपना तालमेल बैठाएं हमारी चिंता न करें. फिलहाल, एक बात तो तय है कि उपचुनाव को लेकर चाहे इंडिया गठबंधन हो या बीजेपी सीट शेयरिंग किसी के लिए भी आसान नहीं होने वाला है.

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