
यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री राकेश सचान को कोर्ट ने अवैध असलहा रखने के मामले में एक साल की कारावास सजा सुनाई है. इसके साथ ही 1500 रुपए जुर्माना लगाया है. हालांकि, सचान जेल नहीं जाएंगे. उनकी पहले से कोर्ट में बेल एप्लिकेशन भी लगी थी, उस पर कोर्ट ने बांड पर जमानत भी दे दी है. कोर्ट से जमानत पर रिहा होने के बाद राकेश सचान ने कहा कि मुझे कोर्ट पर भरोसा है. मैं सेशन कोर्ट में अपील करूंगा.
कोर्ट की सजा के बाद साफ हो गया है कि सचान की विधायकी बची रहेगी. साथ ही उनके चुनाव लड़ने का अधिकार भी सुरक्षित हो गया है. सचान को 20 हजार रुपए के मुचलके पर रिहा किया गया है. इससे पहले आरोप लगा था कि कैबिनेट मंत्री राकेश सचान कानपुर की कोर्ट से मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद आदेश की कॉपी लेकर भाग गए हैं.
इस मामले में पुलिस को तहरीर भी दी गई थी, लेकिन पुलिस ने दो दिन बाद भी केस दर्ज नहीं किया था. सचान को कानपुर की कोर्ट ने अवैध असलहा से जुड़े एक मामले में दोषी करार दिया था. इसके बाद राकेश सचान कोर्ट से कथित तौर पर आदेश की कॉपी लेकर भाग निकले थे.
सोमवार को सचान कानपुर की कोर्ट में हाजिर होने के लिए निकले. उन्होंने मीडिया से कहा था कि मैं आज कोर्ट में हाजिर होने जाऊंगा. कोर्ट का जो भी फैसला होगा, वो मान्य है. राकेश सचान का कहना है कि मीडिया ने गलत तथ्यों से खबर चलाई. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पर फिर से उन्होंने हमला बोला और कहा- अखिलेश ने मुझे गिट्टी चोरी पर ट्वीट किया. जबकि उनके ऊपर खुद चोरी का भी आरोप लगा था. मैं तो कहना नहीं चाहता था पार्टी के अध्यक्ष हैं उनको सोच समझकर ट्वीट करना चाहिए था.
सीएम ने रिपोर्ट मांगी, मगर भेजी नहीं गई
कानपुर की कोर्ट से भागने के आरोपी और यूपी के कैबिनेट मंत्री राकेश सचान ने आजतक से बातचीत की. उन्होंने कहा कि सरकार ने मेरे खिलाफ दर्ज केसों को हटाने के लिए कानपुर प्रशासन से रिपोर्ट मांगी थी. क्योंकि मैंने सीएम योगी आदित्यनाथ को अपने केसों के बारे में बताया था. मगर रिपोर्ट पहुंच नहीं पाई. अगर पहुंच जाती तो शायद पर्चा कांड ना होता. हालांकि, जो होना होता है, वही होता है.
मैं एक घंटे के लिए गया था, पर्चा लेकर नहीं भागा
आज जो फैसला आया है, उसको लेकर हम सेशन कोर्ट में अपील करेंगे. अगर संतुष्ट होते तो अपील नहीं करते. अब मेरिट पर बातें सेशन कोर्ट में रखेंगे. पर्चा कांड पर कहा- कोई भी केस वकील लड़ता है. वकील ने मुझे कहा- 5 मिनट के लिए आ जाइए. मैं सुबह 10:45 बजे पहुंच गया. वकील ने कहा- समय लगेगा तो मैंने कहा कि आपने बोला था कि तुरंत हो जाएगा. उसके बाद मैं बाहर आ गया. फिर वकील ने मुझे जाने के लिए बोला और कहा धारा 311 में एप्लीकेशन दे देंगे. आप जाइए, इसलिए हम 11:45 बजे वापस चले आए.
सीसीटीवी से पता चल जाएगी सच्चाई
अब कागज कोई ले गया या नहीं वो सीसीटीवी से पता चलेगा. तहरीर क्यों दी गई है, ये जांच का विषय है. 40 लोगों के अंदर आने की बात पर कहा कि मैं अकेले गया था. मेरे साथ मेरा पीएसओ था और वकील थे. कुल 3 लोग थे. बाकी सब बाहर थे. सुबह का मामला था और एक घंटे में वापस भी आ गए.
अखिलेश ने गलत ट्वीट किया
मिर्जापुर में प्रेस कांफ्रेंस में ना जाने पर कहा कि सोशल मीडिया पर इतना चलने लगा कि मैं फरार हूं. बचा हुआ अखिलेश यादव ने भी ट्वीट कर दिया. अगर मैं मिर्जापुर चला जाता तो लोग कहते- मैं फरार हूं. मेरे लगातार कार्यक्रम थे. मैं कहीं नहीं भागा था.
30 साल पुराना मामला, गलत फंसाया गया
मंत्री पद से इस्तीफा देने की मांग पर कहा कि ये घटना 30 साल पुरानी है. कोई मतलब नहीं है. मेरे पास लाइसेंस वाला हथियार था. गलत मुकदमा लगाया गया. कानपुर पुलिस ने पूछताछ की या नहीं, इस सवाल पर कहा कि मेरी पुलिस से कोई बात नहीं हुई. विपक्ष कह रहा कि अगर आम आदमी होता तो अब तक गिरफ्तार हो जाता. इस सवाल पर सचान ने कहा कि मैं क्यों कहीं जाऊंगा, जब पर्चा लेकर नहीं भागा.
राकेश सचान के खिलाफ तहरीर में क्या है
पुलिस को मिली तहरीर के मुताबिक मंत्री राकेश सचान के वकील ने देखने के लिए पत्रावली मांगी. राकेश सचान का वकील कौन था, पुलिस इसका पता लगाकर वकील से भी पूछताछ करेगी और इस मामले में रीडर से भी जानकारी लेगी. पुलिस की जांच कई बिंदुओं पर होगी जिसमें सीसीटीवी कैमरों के फुटेज भी अहम होंगे. पुलिस ये भी देखेगी कि सुनवाई के समय मंत्री राकेश सचान कोर्ट में मौजूद थे या नहीं. कोर्ट परिसर में और कौन-कौन से लोग मौजूद थे? इस दौरान कोर्ट के कौन-कौन से कर्मचारी मौजूद थे? बताया जा रहा है कि आर्म्स एक्ट के जिस मुकदमे की सुनवाई के दौरान कोर्ट के आदेश की कॉपी लेकर राकेश सचान भागे, उस मामले में वे पिछले 10 महीने से पेश नहीं हुए थे.
बच गई विधायकी
राकेश सचान को दोषी करार दिए जाने के बाद ये तय माना जा रहा था कि उन्हें इस मामले में सजा होगी. जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत दो साल से अधिक की सजा सुनाए जाने के बाद राकेश सचान की विधायकी खतरे में पड़ सकती थी. ऐसे में राकेश सचान के अधिवक्ताओं की टीम अब उनकी विधायकी बचाने के लिए मंथन में जुट गई थी. हालांकि, कोर्ट ने एक साल की सजा सुनाई है. ऐसे में उनकी विधायकी भी बच गई और चुनाव लड़ने का अधिकार भी सुरक्षित हो गया.