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IMA ने पीएम को लिखी चिट्ठी, कहा- सस्ती लोकप्रियता के लिए MLA ने अस्पतालों को बनाया निशाना

आईएमए ने कहा है कि ये विधायक किस आधार और अधिकार से कह रहे हैं कि निजी अस्पतालों ने अपनी कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी नहीं निभाई. आईएमए ने निजी अस्पतालों की भूमिका की सराहना करते हुए कहा है कि विधायक ने ये चिट्ठी सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए लिखी है.

आईएमए ने कहा- बगैर अवकाश सेवा कर रहे डॉक्टर (फाइल फोटोः पीटीआई) आईएमए ने कहा- बगैर अवकाश सेवा कर रहे डॉक्टर (फाइल फोटोः पीटीआई)
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 25 मई 2021,
  • अपडेटेड 7:51 AM IST
  • आईएमए ने भी पीएम को लिखी चिट्ठी
  • विधायक की चिट्ठी पर उठाए सवाल

दिल्ली से सटे यूपी के गौतम बुद्ध नगर जिले की जेवर विधानसभा सीट से विधायक धीरेंद्र सिंह की प्रधान मंत्री को लिखी चिट्ठी पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. आईएमए ने भी प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर अपना पक्ष रखा है. आईएमए के राष्ट्रीय महासचिव डॉक्टर जयेश लेले और अध्यक्ष डॉक्टर जेए जयलाल ने चिकित्सा के क्षेत्र में निजी अस्पतालों की 70 फीसदी भागीदारी पर जोर देते हुए कहा कि इस संकट काल में हमारे डॉक्टर्स और पूरी चिकित्सक टीम ने अपनी जान पर खेलकर करोड़ों पीड़ित लोगों की जान बचाई है.

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आईएमए की ओर से पीएम को लिखी गई चिट्ठी में कहा गया है कि ऐसे में अब निजी अस्पतालों को लेकर इस तरह की असभ्य भाषा का उपयोग करते हुए अनर्गल आरोप लगाना अनुचित और अनैतिक है. धीरेंद्र सिंह ने अपने पत्र में कोरोना काल में निजी अस्पतालों की भूमिका पर सवाल उठाए थे. इसे लेकर एसोसिएशन की ओर से कहा गया है कि उत्तर प्रदेश, एनसीआर और गौतम बुद्ध नगर के निजी अस्पतालों को बेगैरत और अनैतिक बताना दुर्भाग्यपूर्ण है.

आईएमए ने कहा है कि ये विधायक किस आधार और अधिकार से कह रहे हैं कि निजी अस्पतालों ने अपनी कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी नहीं निभाई. आईएमए ने निजी अस्पतालों को अधिक वैक्सीन उपलब्ध कराने की मांग की है जिससे सरकारी अस्पतालों पर बोझ कम किया जा सके. एसोसिएशन ने निजी अस्पतालों की भूमिका की सराहना करते हुए कहा है कि विधायक ने ये चिट्ठी सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए लिखी है.

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आईएमए की ओर से यह भी कहा गया है कि इस चिट्ठी से संकट काल में पीड़ितों की सेवा में जुटे चिकित्साकर्मियों का मनोबल टूटा है जबकि अभी सभी का मनोबल बढ़ाने की जरूरत है. आईएमए की गौतम बुद्ध नगर जिला शाखा ने संगठन से जुड़े जिले के चार और देशभर में करीब 800 डॉक्टरों के निधन का हवाला दिया है. एसोसिएशन ने कहा है कि इस संकट के समय डॉक्टर और अन्य नर्सिंग स्टाफ बगैर अवकाश के लगातार सेवा कर रहे हैं.

विधायक ने अपनी चिट्ठी में कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) को लेकर भी अस्पतालों पर निशाना साधा गया है. इस पर एक निजी अस्पताल के सीएमडी का जवाब ये है कि आयकर विभाग के रिकॉर्ड में जवाब मौजूद है. उन्होंने कहा है कि हम अपने सीएसआर का ढिंढ़ोरा नहीं पीटते. वैसे भी आयकर विभाग को हमारी आमदनी के दो फीसदी सीएसआर फंड की पाई-पाई की जानकारी है.

आर्थिक मामलों के विशेषज्ञों के मुताबिक वैसे भी सीएसआर की रकम अगर कॉरपोरेट खर्च न कर पाए तो वो रकम हजम नहीं कर सकता. उसके लिए अलग प्रावधान हैं. वो बची हुई रकम प्रधानमंत्री राहत कोष में भी दे सकते हैं. गौरतलब है कि जेवर विधायक धीरेंद्र सिंह ने अपनी चिट्ठी में लिखा था कि निजी अस्पतालों ने अपनी आमदनी का दो फीसदी सामाजिक दायित्वों के लिए खर्च करने की नीति पर चलने का दावा कर रखा है.

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विधायक ने निजी अस्पतालों को ये बताने के लिए भी कहा था कि उन्होंने कितने किसानों, मजदूरों या आम लोगों का मुफ्त इलाज इस संकट काल में किया या फिर जनता के बीच जाकर क्या-क्या किया? यानी इस संकट काल में कारपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व के लिए निकाली गई रकम का इस्तेमाल समाज सेवा में अस्पतालों की ओर से कब, कहां और कैसे किया गया?

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